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कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार पर EVM को बनाया मुद्दा, बोला- INDIA गठबंधन को करनी होगी चर्चा

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी हार की समीक्षा के बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों ने चुनावी हार के पीछे ईवीएम को दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि पूरे विपक्षी गठबंधन को इस मामले पर एकजुट होकर विचार करना चाहिए. Congress debates role of EVM, Assembly poll 2023 losses, EVM Issue Within INDIA For 2024 Elections, All Party Meeting Over Remote EVM

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प्रतिकात्मक तस्वीर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2023, 2:22 PM IST

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम को एक मुद्दा बनाया है. माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के बैठक में भी कांग्रेस ईवीएम के मुद्दे को उठा सकती है. कांग्रेस पार्टी के मध्य प्रदेश प्रभारी और पार्टी सचिव सीपी मित्तल ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात की.

सीपी मित्तल ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीटों का भारी अंतर खासतौर से तब जब जनता का मूड भाजपा के खिलाफ था दोनों पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर हैरान करने वाला है. कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. ईवीएम की भूमिका संदिग्ध लग रही है. यह अच्छा होगा यदि विपक्षी गठबंधन एकजुट होगा ईवीएम मुद्दे पर चर्चा करे. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इसपर सामूहिक विचार किया जाना चाहिए.

मित्तल ने कहा कि हालांकि, इसबारे में कोई भी निर्णय पार्टी आलाकमान को लेना है. बता दें कि शुक्रवार को पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और राज्य पदाधिकारियों के साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी हार की समीक्षा की. जिसके बाद सीपी मित्तल ने ईटीवी भारत से बात की.

पिछले दिनों पार्टी के भीतर ईवीएम विरोधी आवाजें जोरदार तरीके से उभरी हैं. जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और एमपी इकाई के प्रमुख कमल नाथ दोनों ने ईवीएम से छेड़छाड़ का शक जताया है. बघेल ने कहा कि ईवीएम पर उठे सवाल ने हमेशा ही भाजपा को असहज किया है. कमल नाथ ने आश्चर्य जताया कि पार्टी के विधायकों को अपने गढ़ों में बूथों पर सिर्फ 50 वोट कैसे मिल सकते हैं.

सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल ने भी इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात किया. उन्होंने कहा कि ईवीएम के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. हाल के विधानसभा चुनाव में जनादेश की चोरी हुई है. लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने वाला स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव केवल मतपत्र के माध्यम से ही हो सकता है. दुनिया के कई देशों ने ईवीएम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह यहां भी किया जाना चाहिए. कमलेश्वर पटेल ने दावा किया कि इटली, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और आयरलैंड जैसे देश ईवीएम का उपयोग नहीं करते हैं.

एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है. मैंने 2003 से ही ईवीएम से मतदान का विरोध किया है. क्या हम अपने लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों के हाथों नियंत्रित होने की अनुमति दे सकते हैं! यह मूलभूत प्रश्न है जिसका उत्तर सभी राजनीतिक दलों को खोजना है. सिंह ने कहा कि इस बारे में चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को भी ध्यान देना चाहिए.

सिंह के अनुसार, भाजपा ने 2009 के राष्ट्रीय चुनावों में हार के लिए ईवीएम और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. उससे पहले भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 2004 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद ईवीएम की भूमिका पर सवाल उठाये थे. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में एमपी कांग्रेस को डाक मतपत्रों में अधिक वोट मिले थे, लेकिन जब ईवीएम के नतीजे सामने आए तो वह हार गई.

अतीत में, विपक्षी दल प्रवासी श्रमिकों के लिए रिमोट ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ बोलते रहे हैं. ईवीएम की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए 10 प्रतिशत वीवीपैट का वास्तविक परिणामों से मिलान करने की मांग करते रहे हैं. विपक्षी नेताओं को आश्चर्य हुआ था कि चुनाव आयोग 20 करोड़ या 30 करोड़ प्रवासी मतदाताओं को सिस्टम में कैसे शामिल करेगा और उस संख्या का आधार क्या होगा.

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