नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है. वहीं भाजपा शासित मध्य प्रदेश में जनता के समर्थन को वोट में तब्दील करने के लिए लोकसभा सीट के हिसाब से एआईसीसी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है. इस बारे में मध्य प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी जेपी अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा अवसर है. लोग शासन की कमी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर भाजपा से नाराज हैं. लेकिन चुनौती जनता के समर्थन को वोट में बदलने की है.
उन्होंने कहा कि एआईसीसी पर्यवेक्षक, जो वरिष्ठ नेता हैं पार्टी के उस उद्देश्य को हासिल करने में मदद करेंगे. अग्रवाल ने कहा कि एआईसीसी पर्यवेक्षक विधानसभा सीट स्तर पर पार्टी को नेतृत्व को अतिरिक्त मजबूती प्रदान करेंगे. एक लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी व्यक्ति वास्तव में करीब आठ विधानसभा सीटों की निगरानी करेगा जो उसके अंतर्गत आएंगी. वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शोभा ओझा ने कहा कि वे अधिकतम मतदान प्रतिशत के लिए हमारी बूथ स्तरीय टीमों के साथ ही समन्वय करेंगे.
उन्होंने कहा कि चुनाव के समय कई मुद्दे होते हैं जिनके लिए एआईसीसी प्रभारी या पीसीसी प्रमुख को परेशान नही किया जा सकता है. लेकिन उन्हें आलाकमान तक पहुंचाने की जरूरत है, इसमें एआईसीसी पर्यवेक्षक काम आते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास चुनाव लड़ने का अनुभव होता है इस वजह से वह स्थानीय कार्यकर्तांओं पर उनका प्रभाव होता है.
इसके अलावा खड़गे ने एआईसीसी महासचिव रणदीप सुरजेवाला को वरिष्ठ पर्यवेक्षक और महाराष्ट्र के दिग्गज चंद्रकांत हंडोरे को मध्य प्रदेश के पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया है. बता दें कि पार्टी ने 2018 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी खड़गे ने इसी तरह की रणनीति अपनाई है और लोकसभा सीट के हिसाब से एआईसीसी पर्यवेक्षकों को तैनात किया है. हालांकि, उनकी भूमिकाएं अलग-अलग होंगी. इस बारे में एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव काजी निजामुद्दीन ने बताया कि एआईसीसी पर्यवेक्षक पार्टी कार्यकर्ताओं की किसी भी शिकायत का निवारण करेंगे और संगठन और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेंगे. हाल ही में एक समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने राजस्थान के इस मुद्दे को उठाया था. काजी के मुताबिक एआईसीसी सचिवों के साथ-साथ राज्य के नेता तब से पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने और उनके मुद्दों को सुनने के लिए विधानसभा सीट के अनुसार बातचीत कर रहे हैं, जिन्हें बाद में राज्य सरकार के साथ उठाया जाता है. बता दें कि मध्य प्रदेश में 29, राजस्थान में 25 और छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं.
पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच अंतर को पाटने के उद्देश्य से 'चलो बूथ' नामक एक ऐसी ही पहल छत्तीसगढ़ में भी चल रही है, जहां खड़गे ने हाल ही में बस्तर के सांसद दीपक बैज को नया पीसीसी प्रमुख नियुक्त किया है. वहीं छत्तीसगढ़ में निवर्तमान पीसीसी प्रमुख मोहन मरकाम को वरिष्ठ मंत्री और टीएस सिंह देव की पदोन्नति के साथ चुनावों से कुछ महीने पहले उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. यह कदम सिंहदेव और मरकाम के समर्थकों को आश्वस्त करने के लिए उठाया गया था, जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले बैज को राज्य इकाई का नेतृत्व करने का प्रभार दिया गया था. मध्य प्रदेश की तर्ज पर खड़गे ने राजस्थान के लिए अनुभवी मधुसूदन मिस्त्री को वरिष्ठ पर्यवेक्षक और शशिकांत सेंथिल को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है और उत्तराखंड के नेता प्रीतम सिंह को वरिष्ठ पर्यवेक्षक और मीनाक्षी नटराजन को छत्तीसगढ़ के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
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