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कांग्रेस ने रिमोट ईवीएम पर जताया संदेह, EC से चुनाव प्रणाली में भरोसा बहाल करने की अपील - रिमोट ईवीएम पर संदेह

कांग्रेस ने रिमोट ईवीएम को लेकर अपनी राय चुनाव आयोग को भेज दी है. ईसी ने 31 जनवरी तक पार्टियों की राय मांगी थी. कांग्रेस का कहना है कि ऐसी वोटिंग मशीन चुनाव प्रणाला से मतदाताओं का विश्वास कम होगा (Congress casts doubt over Remote EVM). ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Congress communications in charge Jairam Ramesh
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश

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Published : Dec 29, 2022, 7:13 PM IST

नई दिल्ली :कांग्रेस ने गुरुवार को रिमोट ईवीएम पर संदेह जताते हुए कहा कि ऐसी वोटिंग मशीनें चुनावी प्रणाली में मतदाताओं के विश्वास को कम कर सकती हैं जो लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है (Congress casts doubt over Remote EVM). चुनाव आयोग ने 16 जनवरी, 2023 को इसके द्वारा विकसित रिमोट मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के प्रदर्शन के लिए पार्टियों से 31 जनवरी तक लिखित में विचार मांगे हैं. रिमोट ईवीएम का उपयोग प्रवासी श्रमिकों के लिए किया जाना है.

कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश (Congress communications in charge Jairam Ramesh) ने कहा कि ईवीएम के व्यापक उपयोग के बावजूद इन्होंने बहुत विवाद पैदा किया है. दुर्भाग्य से, उनके दुरुपयोग की आशंकाओं को व्यवस्थित रूप से संबोधित नहीं किया गया है. मतदाताओं और पार्टियों को चुनावी प्रणाली में भरोसा होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग पर डाले जा रहे दबाव के कारण हाल के वर्षों में इस भरोसे का बार-बार उल्लंघन किया गया है.'

रमेश ने हाल के गुजरात विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि मतदान की संदिग्ध संख्या थी, जिससे पता चलता है कि मतदान के आखिरी घंटे में 10-12 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया.

उन्होंने कहा कि 'इससे पता चलता है कि हर 25 से 30 सेकंड में वोट पड़ा, जबकि वोट डालने के लिए आपको कम से कम 60 सेकेंड का समय चाहिए. कल्पना कीजिए कि क्या इन संदिग्ध पैटर्नों को एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र मतदान मशीन के माध्यम से अन्य स्थानों तक बढ़ाया जा सकता है. यह चुनाव प्रणाली में विश्वास को कम करेगा.'

राज्यसभा सदस्य ने जर्मनी का उदाहरण दिया जहां संघीय संवैधानिक न्यायालय ने 2009 में ईवीएम के उपयोग को रद्द कर दिया था क्योंकि मशीनों की अपारदर्शिता एक मतदाता को यह विश्वास नहीं दिला सकती है कि उसका वोट सही तरीके से रिकॉर्ड किया जा रहा है. चुनाव आयोग पर सरकार के दबाव के हालिया उदाहरण का हवाला देते हुए, रमेश ने कहा कि पीएम मोदी को अपने गृह राज्य में चुनाव प्रचार के लिए अधिक समय देने के लिए गुजरात चुनाव की तारीखों की घोषणा में देरी हुई. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री को गुजरात में मतदान के दिन रोड शो करने की अनुमति देकर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए मुफ्त पास दिया.

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग को कई अभ्यावेदन दिए थे लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अतीत में उन बूथों की संख्या बढ़ाकर मतदान प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए थे जिनमें मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल पर्चियों की गिनती की जाती है. हालांकि, इसे भी स्वीकार नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा कि 'हम चुनाव आयोग से पारदर्शिता के साथ और विपक्ष की चिंताओं पर ध्यान देने की अपील करते हैं.' उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के काम करने के लिए चुनाव प्रणाली में विश्वास सर्वोपरि है.

हाल ही में गुजरात में चुनाव के बाद की समीक्षा के दौरान, राज्य इकाई ने वोटिंग मशीनों के कथित दुरुपयोग पर संदेह व्यक्त किया था, लेकिन विपक्षी दल इस डर से इसे एक बड़ा मुद्दा नहीं बना सके कि इससे चुनावी नुकसान के साथ-साथ अनावश्यक आलोचना भी होगी.

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