नई दिल्ली :कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ होने से पहले बैठक की जिसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सहित कई मुद्दों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई इस बैठक में इन विपक्षी दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया.
इस बैठक में खड़गे के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी एवं मुख्य सचेतक के. सुरेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए. वहीं, विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में TMC ने पहले ही शामिल होने से साफ मना कर दिया था.
इस बीच, राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने दावा किया कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को चर्चा के बिना पारित करना चाहती है.
उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बिना किसी चर्चा के संसद में आगे बढ़ाना चाहती है. 16 महीने पहले जिस तरह से तीनों कानूनों को पारित किया गया था वह अलोकतांत्रिक था. इस तरह से कानूनों को निरस्त करना और भी अलोकतांत्रिक होगा. विपक्ष इन कानूनों को निरस्त किए जाने से पहले चर्चा की मांग करता है.
बता दें कि रविवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में करीब 30 दलों ने हिस्सा लिया था. इसमें विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी विवाद, महंगाई, कृषि कानूनों, बेरोजगारी, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव सहित कुछ अन्य मुद्दों को उठाया और चर्चा कराने की मांग की. विपक्षी दलों ने सरकार को रचनात्मक मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग देने का आश्चासन दिया.
वहीं, रविवार को बुलाई गई बैठक से साफ हो गया है कि इस बार सरकार को घेरने में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सूर एक नहीं होंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संकेत दिया कि उन्हें विपक्ष में कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं है.
बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वदलीय बैठक में 15-20 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. सभी दलों ने मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने पर सरकार तुरंत ध्यान दे. उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने का विषय, महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का मुद्दा भी बैठक में उठा. इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक पर भी सरकार से ध्यान देने को कहा गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने उनसे कहा कि कुछ विधेयकों को पेश करने के बाद वह उसे संसद की स्थाई समिति को भेजना चाहती है. इस बारे में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सोमवार को तय हो जाएगा.
खड़गे ने कहा कि हम सरकार को सहयोग करना चाहते हैं. अच्छे विधेयक आएंगे तब हम सरकार को सहयोग करेंगे. अगर हमारी बात नहीं मानी (चर्चा को लेकर) गई, तब सदन में व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी.
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कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि बैठक में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बारे में भी चर्चा हुई.