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आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस नेताओं ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी में मानो भूचाल आ गया हो. कांग्रेस नेताओं ने आजाद के इस्तीफे को अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि आजाद ने ऐसे समय पर इस्तीफा दिया है, जब पार्टी महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है. वहीं, विरोधी दलों ने राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा किया है.

कांग्रेस ने कहा, आजाद के इस्तीफे का समय ठीक नहीं
कांग्रेस ने कहा, आजाद के इस्तीफे का समय ठीक नहीं

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Published : Aug 26, 2022, 2:24 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 8:43 PM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर: कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफे को अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कांग्रेस ने कहा कि जब कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है तब यह इस्तीफा हुआ है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि त्यागपत्र में कही गई बातें तथ्यपरक नहीं हैं, इसका समय भी ठीक नहीं है. कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा कि यह अत्यंत दुख की बात है कि जब कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ रही है तो उस समय यह त्यागपत्र आया.

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते थे कि आजाद जैसे वरिष्ठ नेता विपक्ष और जनता की आवाज को बल देंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं किया. नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को पार्टी के लिए एक बड़ा झटका करार देते हुए कहा एक इतनी पुरानी पार्टी का पतन देखना 'दुखद' और 'खौफनाक' है. उन्होंने ट्वीट किया कि लंबे समय से ऐसी अटकलें थीं. कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है. शायद हाल के दिनों में पार्टी छोड़ने वाले वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं, उनका इस्तीफा बेहद दुखद है. उमर ने कहा कि इतनी पुरानी पार्टी का पतन होते देखना दुखद और खौफनाक है.

कांग्रेस नेता और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि उनके (जीएन आजाद) त्यागपत्र के बारे में मैं जो महसूस करता हूं उसे व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. उन्होंने पार्टी में कई पदों पर कार्य किया. किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह ऐसा पत्र लिखेंगे. इससे पहले उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था जब वह मेडिकल चेकअप के लिए अमेरिका गईं थीं. कांग्रेस ने उन्हें (गुलाम नबी आजाद) सब कुछ दिया. आज वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के कारण जाने-माने नेता हैं.

वहीं, आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह एक गंभीर घटनाक्रम है और इससे सभी कांग्रेसियों को पीड़ा होगी. मैं व्यक्तिगत रूप से स्तब्ध हूं. यह स्थिति पूरी तरह से टालने योग्य थी. हमें उम्मीद थी कि गंभीर आत्मनिरीक्षण होगा लेकिन दुर्भाग्य से वह प्रक्रिया उलट गई.

फारूक अब्दुल्ला का बयान

'आजाद ने मुश्किल समय में कांग्रेस छोड़ी'
इधर, गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है और आजाद का पार्टी को अलविदा कहना गलत है. अब्दुल्ला ने कहा कि आजाद ने अपना पूरा जीवन कांग्रेस को दिया और वह इंदिरा गांधी परिवार के करीबी थे. आजाद को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आजाद देश की धर्मनिरपेक्ष और संघीय व्यवस्था को मजबूत करने और नफरत के इस माहौल के खिलाफ लड़ने का काम करेंगे. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन कांग्रेस और मजबूत हुई. देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है.

पढ़ें: गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया

कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कहा कि उनके जैसे आदमी को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर पार्टी नहीं छोड़नी चाहिए थी. इससे पता चलता है कि वह वापस लड़ने को तैयार नहीं है. राहुल गांधी को दोष देना सही नहीं है. वह सत्ता में रहना चाहते हैं. नुकसान सिर्फ आजाद के लिए है, कांग्रेस के लिए नहीं.

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक पत्र में कहा, हमने पार्टी में सुधार का मुद्दा उठाया था, बगावत का नहीं, पार्टी के अंदर रहना जरूरी था... गुलाम नबी आजाद के बिना कांग्रेस बहुत कमजोर होगी.

वहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि आजाद का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है. यह कांग्रेस पार्टी और देश के लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है. इसके बावजूद, पार्टी बदलाव करने से इनकार करती है और यही कारण है कि वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से मोहभंग हो रहा है क्योंकि वे अलग-थलग, अपमानित और अपमानित महसूस करते हैं.

पूर्व कांग्रेस नेता और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद का पत्र और 2015 में मेरे द्वारा लिखे गए पत्र को अगर आप पढ़ेंगे तो आपको काफी समानताएं मिलेंगी. कांग्रेस में सभी जानते हैं कि राहुल गांधी अपरिपक्व हैं. सोनिया गांधी पार्टी की देखभाल नहीं कर रही हैं, वह केवल अपने बेटे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं. यह एक व्यर्थ प्रयास है. उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है, पार्टी के प्रति वफादार लोग इसे छोड़ रहे हैं. मैंने भविष्यवाणी की थी कि कांग्रेस के लिए एक समय आएगा जब केवल गांधी परिवार के समर्थक ही बचेंगे और यह हो रहा है. राहुल गांधी वास्तव में भाजपा के लिए वरदान हैं.

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Last Updated : Aug 26, 2022, 8:43 PM IST

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