नई दिल्ली : कांग्रेस ने केंद्र पर गरीबों और सेना को नाफेड के माध्यम से दी जाने वाली दाल का भ्रष्टाचार कर 4,600 करोड़ रु. का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को कहा कि नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पास जब दालों का बहुत ज्यादा स्टॉक हो गया, तब नाफेड ने सरकार से सिफारिश की कि ये दाल देश भर में कल्याणकारी योजनाओं और रक्षा सेवाओं के लाभार्थियों को दी जाए.
सिंघवी ने कहा कि ऐसे समय में जबकि नाफेड का दाल का स्टॉक साबुत दलहन के रूप में होता है. उन्हें वितरित करने से पहले दाल बनाने की प्रोसेसिंग के लिए दाल मिलों को दिया जाता है. दाल दलने से लेकर पॉलिश तथा ढुलाई का खर्च केंद्र सरकार उठाती है. इतनी बड़ी मात्रा में इन दालों को बाकायदा नीलामी प्रक्रिया के तहत मिलों को दिया जाता है. उन्होंने कहा, "पहले सरकार की कोशिश होती थी कि जो मिल सबसे सस्ते में यह काम करे, उसे ठेका दिया जाता था. नीलामी की इस प्रक्रिया को फ्लोअर रेट या लोअर रेट प्रोसेस के नाम से भी जाना जाता था. लेकिन साल 2018 के बाद से नाफेड ने नीलामी प्रक्रिया को भी बिल्कुल बदल दिया. अब सरकार ने यह बंदिश नहीं लगाई कि न्यूनतम इतने किलो से कम बोली नहीं लगाई जा सकती. एक अनुमान के तहत 2018 के बाद चार सालों में दाल मिलों ने 5.4 लाख टन दालों की प्रोसेसिंग में लगभग 4,600 करोड़ रु. का चूना सरकार को लगाया."