नई दिल्ली: चुनाव के दौरान झूठे भ्रष्टाचार के आरोपों के माध्यम से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि इस तरह के राजनीतिक प्रतिशोध से चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
दोनों राज्यों में चुनावों की निगरानी कर रहे एआईसीसी पदाधिकारियों के अनुसार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ हाल ही में ईडी के छापे ने भाजपा की हताशा को दिखाया, जो कठिन समय से गुजर रही थी. एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुसार, भाजपा के पास राज्य में दिखाने के लिए बहुत कम है.
रंधावा ने ईटीवी भारत को बताया कि 'बीजेपी ने हाल ही में बारी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को लिया और दलबदलू को टिकट दिया. हम जिन्हें छोड़ते हैं, वे उन्हें उठा लेते हैं. अब, भाजपा के पास केवल एक ही उपकरण बचा है, ईडी.' उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में, नेताओं को चुनाव के समय राज्य का दौरा करना चाहिए, न कि ईडी अधिकारियों को.'
उन्होंने कहा कि 'हाल ही में हुई छापेमारी से लोगों में यह संदेश गया है कि गहलोत सरकार ने काम तो किया है, लेकिन बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उसे परेशान कर रही है.' ईडी ने हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को एक पुराने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था और पेपर लीक मामले में राज्य कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा के जयपुर और सीकर आवास पर छापेमारी की थी.
एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि छापेमारी का विपरीत असर हुआ. रंधावा ने कहा कि 'शुरुआत में डोटासरा का चुनाव कठिन लग रहा था, लेकिन ईडी छापों के बाद उनके लिए राह आसान हो गई है. स्थानीय लोग अब हमारी राज्य इकाई के प्रमुख को अन्य निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कह रहे हैं और कह रहे हैं कि वे उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे.'