नई दिल्ली : कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक अंतरिम रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि अनियमितता के कारण केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भारत नेट कार्यक्रम तेजी नहीं पकड़ सका.
मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की. सरकार की तरफ से कांग्रेस के आरोप पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया,'इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट भारी अनियमितताओं का खुलासा करती है. क्या दूरसंचार विभाग और भारत सरकार ने बिना निविदा के ठेके दिए? क्या बिना किसी औपचारिक करार के करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सकता है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जवाब देंगे?'
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,' कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) को दिए गए.'
उनके मुताबिक,'यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड' (यूएसओएफ) में सभी निजी कंपनियों को योगदान देना होता है. कैग कहता है कि यूएसओएफ सीएससी पर ‘भारत नेट’ के काम में विलंब के लिए जुर्माना नहीं लगा सका...सेवा से जुड़े करार के अभाव और गड़बड़ी को दूर करने के लिए समयसीमा तय नहीं होने के चलते सीएससी के लिए कोई प्रतिरोध नहीं था.'