नई दिल्ली : कांग्रेस ने शनिवार को मौजूदा केंद्र सरकार के तहत देश की अर्थव्यवस्था के बदहाल होने का आरोप लगाया और कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर 'श्वेतपत्र' जारी किया जाना चाहिए. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने यह दावा भी किया कि पिछले नौ वर्षों में देश का कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है. उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, 'आज़ादी के बाद 67 साल में जहां 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया, वहीं नरेन्द्र मोदी जी ने अपने 9 साल के कार्यकाल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुंचा दिया. इसका मतलब यह है कि वर्ष 2014 से अब तक हमारे देश का क़र्ज़ा 100 लाख करोड़ से भी ज़्यादा बढ़ गया है.' यह आर्थिक कुप्रबंधन को दर्शाता है जो न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग को आवश्यक वस्तुओं की उच्च कीमतों से भी पीड़ित कर रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा, 'आज हर हिंदुस्तानी पर, मतलब पैदा हुए नवजात शिशु के सिर पर भी क़रीब 1.2 लाख रुपये का क़र्ज़ है.' इसलिए काम करने के लिए आपको मजबूत आर्थिक प्रबंधकों की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने 2020 की सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था की नकारात्मक कर स्थिरता पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि जीडीपी अनुपात में कर 52 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
सुप्रिया ने यह दावा भी किया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और कर्ज का अनुपात 84 प्रतिशत हो गया है. दुख की बात यह है कि गरीब और मध्यम वर्ग इस आर्थिक कुप्रबंधन से पीड़ित हैं लेकिन अमीर और अमीर होते जा रहे हैं.' उनके मुताबिक, 'देश के 23 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं, 83 प्रतिशत लोगों की आय घटी है, एक साल में क़रीब 11,000 से ज़्यादा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग बंद हुए हैं, लेकिन अरबपतियों की संख्या पिछले दो वर्षों में 102 से बढ़कर 166 हो गई है!'
कांग्रेस नेता ने अपने आरोप के समर्थन में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुल जीएसटी का 64 प्रतिशत हिस्सा गरीब लोग दे रहे हैं, जो देश की केवल तीन प्रतिशत संपत्ति को नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा 10 प्रतिशत अमीर जिनका 80 प्रतिशत पर नियंत्रण है, सिर्फ 3 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं.