मुंबई :महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने को लेकर इस समय राजनीति गरमा गई है. महाविकास अघाड़ी में शामिल घटक दल कांग्रेस भी औरंगाबाद का नाम बदलने का विरोध कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने नाम बदलने का मुद्दा सीधे तौर पर महानिदेशालय में उठाया है.
वहीं मराठा समुदाय के संगठनों द्वारा थोराट के खिलाफ आंदोलन भी किए गए हैं. हालांकि, कांग्रेस अभी भी शहर का नाम बदलने की खिलाफत कर रही है.
औरंगाबाद को संभाजी नगर का नाम देने के मुद्दे पर बोलते हुए थोराट ने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज हमारे आराध्य हैं. उनके नाम का उपयोग करके नामकरण की राजनीति नहीं की जानी चाहिए. औरंगाबाद के विकास के लिए सभी मिलकर काम करें. राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार को एक राय पर चलना चाहिए. भारतीय संविधान के मूल तत्व से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हम किसी भी शहर के नाम बदलने का कड़ा विरोध करते हैं.
नाम बदलने में महानिदेशालय की भूमिका
राजस्व मंत्री थोराट ने सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय को भी कड़े शब्दों में फटकार लगाई है. उन्होंने कहा कि सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय को शहरों का नाम नहीं बदलना चाहिए. सरकारी काम एक कानूनी दस्तावेज है. शहरों का नाम बदलना महाविकास अघाड़ी के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है. सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय, सरकारी मेडिकल कॉलेज और मुख्यमंत्री कार्यालय के ट्विटर हैंडल पर औरंगाबाद को संभाजी नगर कहा जाता है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, थोराट ने कहा है कि शहरों के नामकरण का कांग्रेस दृढ़ता से विरोध करती है.
नाम बदलने का तर्क क्या है
शिवसेना ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर रखने का प्रस्ताव दिया है. नाम बदलने के लिए शिवसेना की यह पुरानी मांग है. हालांकि कुछ पार्टी संगठनों ने आरोप लगाया कि यह मुद्दा औरंगाबाद नगर निगम के सामने लाया गया है. कांग्रेस ने शहर का नाम बदलने का सीधा विरोध किया है. हालांकि कांग्रेस महाविकास अघाड़ी का एक घटक दल है. इसलिए भाजपा ने राजनीति में शिवसेना को फंसाने का यह मौका नहीं छोड़ा और कांग्रेस का विरोध करने से शिवसेना को दरकिनार कर दिया.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना अपनी भूमिका नहीं बदलेगी. औरंगाबाद का नाम बदलना कागजी कार्रवाई का सिर्फ एक हिस्सा है. बालासाहेब ठाकरे ने पहले ही शहर का नाम बदल दिया है. तब आप क्या कर रहे थे जब केंद्र और भाजपा शासित राज्य की सरकारें शहरों का नाम बदल रही थी. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार शहरों का नाम बदल रही थी? इन घटनाओं को लेकर भाजपा से सवाल किया गया था.
एनसीपी की ओर से भी विरोध
एनसीपी ने कहा कि शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव हमारे एजेंडे में नहीं है. हमने 20 साल पहले इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. एनसीपी नेता नवाब मलिक ने स्पष्ट किया कि हम विकसित शहरों का नाम बदलने में विश्वास नहीं करते हैं. शहरों का नाम बदलने का हम विरोध करते हैं. हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इससे महाविकास अघाड़ी सरकार प्रभावित होगी. तीनों दलों के नेता कह रहे हैं कि इससे महाविकास अघाड़ी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि शहर का नाम बदलने के साथ शुरू होने वाले राजनीतिक विवाद ने कई आशंकाएं खड़ी कर दी हैं.