बहरामपुर (पश्चिम बंगाल) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi)द्वारा जम्मू कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ वार्ता करने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस केंद्रशासित प्रदेश में 'रातोंरात बदलाव' के बारे में तत्काल आशावादी होने के बजाय वह 'देखेंगे और प्रतीक्षा करेंगे.
चौधरी ने यहां अपने निवास पर संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 (Article 370) को निष्प्रभावी बनाने के बाद कई वादे किये थे, लेकिन उसमें कुछ भी नहीं किया गया.
कांग्रेस नेता ने कहा, 'मुझे भाजपा सरकार पर विश्वास नहीं है. मुझे उससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं है. दो साल पहले उसने कहा था कि कोई भी भारतीय नागरिक इस केंद्रशासित प्रदेश में रह सकता है. क्या वह हुआ? ब्राह्मण (कश्मीरी पंडित) अब भी घाटी में लौटने को लेकर डरे हुए हैं. आतंकवादी गतिविधियां भी अनवरत जारी हैं.'
उन्होंने यह भी स्मरण दिलाया कि मोदी-शाह शासन ने 'दो साल पहले पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) को भी मिलाने का संकल्प लिया था, लेकिन यह खोखला वादा साबित हुआ.'
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष ने कहा कि बृहस्पतिवार की बैठक में जो नेता बुलाये गये थे, उनमें कई को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के बाद घर में नजरबंद कर दिया गया था और कुछ की तो अलगाववादियों से तुलना की गयी थी.
उन्होंने कहा, 'इसलिए अब वे जेलों से नेताओं को ला रहे हैं और उन्हें वार्ता में शामिल होने दे रहे हैं. कोई यह भूला नहीं है कि इस पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने उनमें से कुछ की तुलना अलगाववादी तत्वों से की थी और उन्हें कुछ खास गैंग का सदस्य बताया था.'
करीब दो साल बाद जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ केंद्र के पहले संपर्क के तहत बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश में भावी कार्ययोजना तैयार करने के लिए चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत 14 नेताओं के साथ अहम बैठक की .
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित प्रधानमंत्री ने अपने निवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भाजपा और कांग्रेस समेत आठ दलों के नेताओं का स्वागत किया.