देहरादून(उत्तराखंड):देवभूमि उत्तराखंड में जल्द ही मानसून दस्तक देने वाला है. उम्मीद जताई जा रही है कि 25 जून तक मानसून उत्तराखंड में सही तरीके से दस्तक दे देगा. हालांकि, 22 जून से लेकर 26 जून तक प्री मानसून बरसात को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. उत्तराखंड में बारिश के कारण अच्छा खासा नुकसान होता है. बरसात में यहां नदी नाले उफान पर आ जाते हैं. पहाड़ी जिलों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं. जहां पूरा प्रदेश मानसून का इंतजार कर रहा है, वहीं, जोशीमठ के रहवासी बारिश के ख्याल से सिहर गये हैं.
जोशीमठ में 6 महीने पहले लगभग 860 मकानों में दरारें आई. यहां की सड़कें धंस गई. जिसके कारण शासन-प्रशासन ने यहां डेरा डाला था. तब पूरी प्रशासनिक अमला जोशीमठ को बचाने की जद्दोजहद में जुट गया था. तब इस शहर को काफी हद तक खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रुकवाया गया, लेकिन अब जिन जगहों पर लोग रुके हैं वहां बरसात से कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है.
हर साल उत्तराखंड की बारिश खासकर पहाड़ों में बेहद कहर बरपाती है. यहां सड़के बंद रहती हैं. नदियां उफान पर होती हैं. सड़क से लेकर गांव तक के मार्ग बंद हो जाते हैं. यानी हर साल उत्तराखंड से जो खबरें आती हैं उससे ना केवल उत्तराखंड बल्कि देश की चिंताएं भी बढ़ जाती हैं. 25 जून के बाद उत्तराखंड में मानसून दस्तक देने वाला है. ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही हैं कि जोशीमठ में जो दरारें मकानों और सड़कों पर आई हैं वो पानी की तेज गति से और चौड़ी हो सकती हैं. भूवैज्ञानिक और तमाम जानकार आज से 6 महीने पहले इसी खतरे का अंदेशा जता रहे थे. वैज्ञानिकों ने तब भी कहा था कि अभी तो सिर्फ दरारें आई हैं, लेकिन आने वाले मानसून में जोशीमठ के हालात क्या होंगे इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. जोशीमठ शहर का एक बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे नीचे की तरफ धंस रहा है. उसके नीचे खिसकने की गति मानसून में और भी तेज हो सकती है. इतना ही नहीं 4 दिन पहले जोशीमठ में हुई बरसात के बाद कई जगहों पर दरारें चौड़ी होने की खबरें आई हैं. जिसमें सिंहधार क्षेत्र के साथ-साथ सुनील वार्ड और पुनागेर तोक शामिल हैं. इन क्षेत्रों में मात्र 1 दिन की बारिश से ही असर दिखने लगा है. इतना ही नहीं जोशीमठ और बदरीनाथ हाईवे पर भी गड्ढा बन गया है.
पढ़ें-Joshimath Sinking: एक साथ धंस सकता है इतना बड़ा इलाका, ISRO की सैटेलाइट इमेज से खुलासा
जोशीमठ में होती है सबसे ज्यादा बारिश:गढ़वाल क्षेत्र की अगर बात करें तो जोशीमठ में सबसे अधिक बरसात होती है. जोशीमठ का एक बाहरी हिस्सा हिमालय की दक्षिणी ढलानों पर है. और जब पहाड़ों में बारिश होती है तो पानी इन ढलानों से होकर नदियों की तरफ पहुंचता है. एक आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 1162.7 मिमी बारिश होती है. इसमें चमोली जिले में ही 1230.8 मिमी पूरे साल में बादल बरस जाते हैं. साल 2022 के आंकड़े भी यही कहते हैं की जोशीमठ में सबसे अधिक बारिश हुई थी. वैज्ञानिक और जिला प्रशासन बारिश आने का भी इंतजार कर रहा है. दरअसल, इस बात को भी देखा जाएगा कि 1.2 बारिश में किस तरह का असर जोशीमठ शहर पर दिखाई देता है. उसके अनुसार ही आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. इसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की टीम और केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम के साथ साथ जिला प्रशासन भी इस पर नजर बनाए हुए है.
पढ़ें-Uttarakhand Disaster: आपदाओं से जख्म मिले तो प्रकृति ने दिए संकेत, नहीं बन पाई ठोस सुरक्षा योजना
बारिश के बाद मालूम होगा कितना खतरनाक है जोशीमठ:हालांकि, आपदा प्रबंधन विभाग जोशीमठ को लेकर इसलिए भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है क्योंकि राज्य में इस समय चार धाम यात्रा चल रही है. हजारों लाखों यात्री रोजाना उत्तराखंड आ रहे हैं. इसके साथ ही मानसून में किसी तरह की कोई अप्रिय घटना जोशीमठ की आस पास के इलाकों में ना हो इसको लेकर भी जोशीमठ में संयुक्त कंट्रोल रूम तैयार कर दिए गए हैं. जिससे आपदा से निपटने के लिए सभी विभाग एकजुट होकर काम करेंगे. इसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन विभाग, दूरसंचार विभाग के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी विभाग भी शामिल है. ये टीम छोटी-छोटी घटनाओं और सूचनाओं पर बारीकी से नजर रखेगी. जिससे किसी भी अप्रिय घटना होने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य के साथ-साथ एक्शन लिया जा सके. जोशीमठ में खाने-पीने के साथ-साथ दवाई, पानी का भी भंडारण किया जा रहा है. जिससे अगर सड़क बंद होती है तो भी किसी तरह की कोई दिक्कत न हो ऐसे इंतजाम किये गये हैं.