लखनऊ : लोकायुक्त द्वारा यूपी के दो आईएएस समेत पांच अफसरों के खिलाफ जांच शुरू होने के बाद परिवादी (शिकायतकर्ता) की पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आत्महत्या की अनुमति मांगी है. उनका आरोप है कि आईएएस अफसरों के खिलाफ शिकायत करने से तिलमिलाए अधिकारियों ने उनकी 10 कंपनियों को द्वेषवश ब्लैकलिस्ट करते हुए बचा हुआ भुगतान रोक दिया गया है. इससे कंपनी के निदेशक समेत सभी कर्मचारियों का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है.
दूसरी व तीसरी किस्त का भुगतान रोका :लोकायुक्त में अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद व प्रांजल यादव समेत पांच अफसरों की शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव की पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखते हुए कहा है कि 'ब्लैक लिस्ट की गई कंपनियों को वर्ष 2016 से 2019 तक विभिन्न विभागों में टेंडर के माध्यम से कार्य आवंटित किए गए थे. इनमें से कई कंपनियों को दूसरी व तीसरी किस्त का भुगतान रोका गया. विधानसभा की याचिका समिति के सामने मामला उठाए जाने पर भी विभाग की तरफ से गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए. दो वर्ष से कोई काम न मिलने और बकाया भुगतान रोक दिए जाने से कंपनी बैंकों के कर्ज के किस्त भी नहीं अदा कर पा रही हूं. पत्र में परिवादी की पत्नी ने बताया है कि वर्ष 2021 में कंपनी में 200 कर्मचारी कार्यरत थे, जो आज बहुत कम संख्या में शेष बचे हैं. कार्यरत कर्मचारियों का भी कई माह का वेतन बकाया है. इससे कंपनी के बंद होने की स्थिति आ गई है. पत्र में पीड़िता ने चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद पर द्वेषवश कार्रवाई किए जाने का गंभीर आरोप लगाया गया है.