नई दिल्ली : तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी ने अपने छह चुनावी वादों के बारे में जनता तक जानकारी पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को विशेष निर्देश दिए हैं. पार्टी अलग-अलग सामाजिक समूहों तक पहुंचकर उन्हें इसके बारे में बता रही है. तेलंगाना विधानसभा की 119 सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान है.
2013 में राज्य का बंटवारा होने के बाद से कांग्रेस सत्ता से बाहर है. बीआरएस पिछले दो बार से लगातार सत्ता में आ रही है. पर, इस बार कांग्रेस अपने वादों के साथ-साथ एंटी इंकंबेंसी फैक्टर पर भरोसा कर रही है. पार्टी केसीआर सरकार की असफलताओं को जोर-शोर से उठाने का दावा कर रही है.
पार्टी सचिव संदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया
हमने तेलंगाना में माइक्रो मैनेजमेंट की शुरुआत की है. इसमें बूथ मैनेजमेंट से लेकर गारंटी कार्ड के वितरण तक को शामिल किया गया है. इसे पूरा करने के लिए हमने छोटी-छोटी बैठकों पर जोर दिया है, जिसमें समाज के अलग-अलग समुदायों के लोगों को शामिल किया जाता है. इन बैठकों में हम उन्हें पार्टी द्वारा किए गए वादों के बारे में जानकारी देते हैं और उसके आधार पर उनका समर्थन मांगते हैं. यह प्रचार का सफलत तरीका रहा है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि अलग-अलग समुदाय का मतलब- ओबीसी में कम्मा और कप्पा, तथा एससी, एसटी, मुस्लिम, ईसाई और उच्च जाति रेड्डी को भी शामिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही ओबीसी नेता डॉ. पी विनय कुमार, जो प्रजा राज्यम पार्टी में थे, ने अपने ग्रुप को कांग्रेस में मर्ज कर दिया. इसी तरह से प्रभावशाली समुदाय मदिका से आने वाले एक सांसद ने भी पार्टी ज्वाइन किया.
पार्टी मुस्लिम मतदाताओं से भी उम्मीद कर रही है. राज्य में उनकी आबादी 13 फीसदी है. इसी तरह से पार्टी सिकंदराबाद, कलवाकुर्ती और शादनगर में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों और ईसाई समुदाय को भी अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है.