नई दिल्ली : गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को सुझाव दिया है कि जनगणना और राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर (एनपीआर) अपडेट करते समय परिवार विवरण बनाने के लिए आधार डेटा का उपयोग किया जाए. समिति ने कहा कि ऐसा करने से निश्चित रूप से बायोमेट्रिक पहचान आसान होगी साथ ही खर्च भी कम होगा.
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एनपीआर के आगामी अपडेशन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहिए. राष्ट्रीय सहमति बनानी होगी ताकि देशभर में इसको लेकर कोई आशंका न हो. इससे पूरी प्रक्रिया आसानी से हो सकेगी.
समिति का मानना है कि आधार के लिए डेटा संग्रह की जो प्रक्रिया अपनाई गई है उस पर पहले ही काफी पैसा खर्च किया जा चुका है. एक अनुमान के मुताबिक 2020-21 के बजट में जनगणना के लिए 4568 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. समिति ने इस पर चिंता व्यक्त की.
समिति ने कहा कि आधार एक व्यक्तिगत डेटा है और राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर बनाने के लिए परिवार डेटाबेस का अभ्यास किया गया है. समिति की राय है कि आधार केवल एक व्यक्ति का डेटा नहीं है, बल्कि इसे राशन कार्ड, पैन कार्ड, आदि के साथ भी जोड़ा जाता है. ऐसे में इसे केवल व्यक्तिगत डेटा के रूप में क्यों माना जाना चाहिए.