नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक अभूतपूर्व निर्णय के तहत तीन महिला न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश की है. इनमें कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली शामिल हैं.
अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना 10 फरवरी 2027 को भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बन सकती हैं.
30 अक्टूबर, 1962 को जन्मीं जस्टिस नागरत्ना भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं. जस्टिस नागरत्ना ने 28 अक्टूबर, 1987 को बैंगलोर में एक वकील के रूप में नामांकन किया और संविधान, वाणिज्य, बीमा और सेवा आदि से संबंधित क्षेत्र में अभ्यास किया.
उन्हें 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 17 फरवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनीं.
सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस नागरत्ना का कार्यकाल 29 अक्टूबर, 2027 तक रहेगा. वह 23 सितंबर, 2027 के बाद पहली महिला सीजेआई के रूप में एक महीने से अधिक का कार्यकाल हो सकता है.
जस्टिस हेमा कोहली का मूल कैडर दिल्ली उच्च न्यायालय है. 02 सितंबर, 1959 को दिल्ली में जन्मीं जस्टिस कोहली ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी किया और 1999-2004 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में नई दिल्ली नगर परिषद की स्थायी वकील और कानूनी सलाहकार थी.
जस्टिस हेमा कोहली को 29 मई, 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 29 अगस्त, 2007 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और बाद में 7 जनवरी, 2021 को तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनीं.