कोलकाता : कोयला ब्लॉकों के निजीकरण के मद्देनजर मुकाबले में बने रहने के लिए कोल इंडिया घाटे में चल रही खदानों को बनाए रखने की स्थिति में नहीं होगी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही. उन्होंने कहा कि बिजली की मांग में छह प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के बावजूद भारत में अगले साल तक तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले का अधिशेष होगा.
कोयला सचिव एके जैन ने एमजंक्शन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि सुधारों से शुष्क ईंधन के उपभोक्ताओं के लिए कोयला क्षेत्र अधिक आकर्षक बन जाएगा, लेकिन खनन गतिविधियों को लेकर मंथन भी होगा. मुझे लगता है कि कोल इंडिया घाटे में चल रही खदानों को चालू रखने और आर्थिक रूप से कमजोर खदानों को बनाए रखने की स्थिति में नहीं होगी.
पिछले साल महारत्न कंपनी ने कहा था कि वह घाटे में चल रही 23 खदानों को बंद कर देगी, और इससे कंपनी को लगभग 500 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी. कोल इंडिया पिछले तीन-चार वर्षों में 82 खदानों को बंद कर चुकी है. जैन ने उम्मीद जताई कि कैप्टिव यानी खुद के इस्तेमाल वाली खानों से उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही अगले साल तक ताप बिजली उत्पादन संयंत्रों के लिए कोयले का अधिशेष होगा.
कैप्टिव क्षेत्र से अगले साल 13 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होने की उम्मीद है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोयला अगले 10-15 वर्षों तक देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा.
ये भी पढे़ं :130 डॉलर प्रति बैरल हुई कच्चे तेल की कीमत, महंगा होगा पेट्रोल-डीजल !