कोरबा : एसईसीएल (South eastern coal fields) की कोयला खदानों से भले ही कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई हो, लेकिन पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक अब भी निर्धारित मांग के अनुरूप नहीं बढ़ा है. पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक पखवाड़े भर पहले की तुलना में कुछ बेहतर जरूर हुआ है. लेकिन मापदंडों के अनुरूप कम से कम 15 दिन का कोल स्टॉक अब भी प्रदेश में संचालित किसी भी पावर प्लांट के पास मौजूद नहीं है. हालांकि कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के दौरे के बाद अब रेलवे द्वारा भी कोरबा से लगभग 40 रैक कोयला रोज डिस्पेच किया जा रहा है.
कोयले का उत्पादन बढ़ा, प्लांट में स्टॉक नहीं
SECL की कोयला खदानों ने पिछले 10 दिनों के भीतर तीन मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है. प्रतिदिन उत्पादन भी अब 3.75 लाख टन हो गया है. जबकि पूर्व में यह 3 लाख टन ही दर्ज किया जा रहा था. चिंता वाली बात यह है कि कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी होने के बावजूद पावर प्लांट के पास पर्याप्त मात्रा में कोयला मौजूद नहीं है. अधिकारियों की माने तो कोयला का उत्पादन तीव्र गति से हो रहा है. पावर प्लांटों के पास भी स्टॉक में जल्द ही बढ़ोतरी होगी. किसी भी पावर प्लांट को कोयले की कमी नहीं होगी. इसलिए कोयला संकट वाली बात अब बिल्कुल भी नहीं है.
SECL को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है, जिसके लिए हर महीने 21 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन करना होगा. तभी मौजूदा वित्तीय वर्ष के कोयला उत्पादन लक्ष्य को पाना संभव होगा. अब तक की स्थिति में SECL ने 63 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लिया है. हालांकि, लक्ष्य के अनुरूप अब तक 82.13 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लिया जाना था. निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अब SECL को 5 महीने में 108.55 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना है. जिसके लिए हर हाल में 21 मिलियन प्रति माह कोयले का उत्पादन सुनिश्चित करना होगा. जो एक बड़ी चुनौती है.
DSPM और NTPC के पास 2 दिन का कोयला
सेंट्रल सेक्टर के लिए 2600 मेगावाट विद्युत क्षमता वाली NTPC और राज्य सरकार का 500 मेगावाट के संयंत्र DSPM के पास 2-2 दिन का कोयला बचा है. दोनों ही संयंत्र कोरबा जिले में संचालित हैं और विद्युत उत्पादन क्षेत्र में दोनों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. वर्तमान में इन दोनों ही विद्युत उत्पादन इकाइयों के पास सिर्फ 2-2 दिन के कोयले का स्टॉक है. जबकि दोनों पावर प्लांट मिलकर 3100 मेगावाट बिजली प्रतिदिन का उत्पादन कर सकते हैं.