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कोयला खनन में ड्रोन इस्तेमाल की तैयारी, मंत्रालय निजी स्टार्टअप से करेगा संपर्क

कोयला खनन में अब ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) ने स्टार्टअप कंपनियों को जोड़ने पर विचार शुरू कर दिया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

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Published : Oct 1, 2022, 6:59 PM IST

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कोयला खनन में ड्रोन इस्तेमाल की तैयारी

नई दिल्ली: ड्रोन इस्तेमाल के फायदों के कारण कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) खनन क्षेत्र में इसके इस्तेमाल के लिए आगे आया है (drone technology in mining sector). कोयला मंत्रालय ड्रोन तकनीक के व्यापक इस्तेमाल के लिए स्टार्टअप कंपनियों को जोड़ने पर विचार कर रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि कोयला मंत्रालय पहले ही पूरे भारत में ऐसे स्टार्टअप से संपर्क कर चुका है जो ड्रोन के कारोबार में हैं.

अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय खान योजना और डिजाइन संस्थान (सीएमपीडीआई) खनन और परिचालन क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए अध्ययन व आकलन कर रहा है.'

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक सहायक कंपनी, CMPDI एक केंद्र सरकार का उद्यम है. जो कुशल जनशक्ति के साथ मिलकर नई पीढ़ी की खोज तकनीक के साथ काम करता है. ये ओसी ट्रापोग्राफिकल सर्वे, वन सीमा सीमांकन, भूमि अधिग्रहण और कंटूरिंग के लिए ड्रोन रिमोट ऑपरेशन तकनीक का उपयोग, परीक्षण के आधार पर सटीक मानचित्र तैयार करता है.

खनन क्षेत्र में जोखिम वाली घटनाएं होने के कारण मंत्रालय ड्रोन के उपयोग पर अधिक जोर दे रहा है. 2021 के दौरान कोयले और लिग्नाइट खदानों में दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या क्रमशः 27 और 29 थी. 2021 के दौरान 57 बड़े हादसे हुए जिनमें 61 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.

अधिकारी ने कहा कि ऐसी घटनाओं से बचने या कम करने के लिए कोयला मंत्रालय ने रिमोट ऑपरेशन टेक्नोलॉजी, अर्ली वार्निंग रेसर सिस्टम, डस्ट सप्रेशन सिस्टम जैसी कई तकनीकों को अपनाया है. हाल ही में, सीएमपीडीआई (CMPDI) ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रेत खनन पट्टा क्षेत्रों के डीटीएम के निर्माण के लिए ड्रोन यूएवी आधारित सर्वेक्षण के लिए एक निजी ड्रोन कंपनी को 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से काम सौंपा है.

सरकारी अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने 465.22 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ वर्ष 2021-22 से 2025-27 के लिए 'कोयला खदानों में संरक्षण, सुरक्षा और ढांचागत विकास' की योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है. हालांकि, इसमें कोलफील्ड्स क्षेत्रों में परिवहन बुनियादी ढांचे के विकास की उप योजना के लिए इसी अवधि के लिए 362.72 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल है.

कोयले का उत्पादन और लक्ष्य : गौरतलब है कि कोयला मंत्रालय ने सीआईएल, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) समेत तीनों सरकारी पीएसयू के लिए नए लक्ष्य निर्धारित किए हैं. सीआईएल ने 2021-22 के दौरान 622.64 मिलियन टन (एमटी) कच्चे कोयले का उत्पादन किया है जो कंपनी के लिए अब तक का सबसे अधिक और पिछले वर्ष के उत्पादन की समान अवधि की तुलना में 4.4 प्रतिशत अधिक है.

सीआईएल को 2022-23 के दौरान 700 एमटी कोयले के उत्पादन का नया लक्ष्य दिया गया है. इसी तरह, एससीसीएल ने 2021-22 के दौरान 65.02 (एमटी) कच्चे कोयले का उत्पादन किया है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 28.6 प्रतिशत अधिक है. 2022-23 में एससीसीएल के लिए कोयला उत्पादन लक्ष्य 70 एमटी है.

एनएलसीआईएल ने 2021-22 के दौरान 251.13 लाख टन (एलटी) लिग्नाइट और 63.58 एलटी कोयले का उत्पादन किया है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत और 538 प्रतिशत अधिक है. 2022-23 में एनएलसीआईएल का लिग्नाइट और कोयला उत्पादन लक्ष्य 263.50 और 80 एलटी है.

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