नई दिल्ली: ड्रोन इस्तेमाल के फायदों के कारण कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) खनन क्षेत्र में इसके इस्तेमाल के लिए आगे आया है (drone technology in mining sector). कोयला मंत्रालय ड्रोन तकनीक के व्यापक इस्तेमाल के लिए स्टार्टअप कंपनियों को जोड़ने पर विचार कर रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि कोयला मंत्रालय पहले ही पूरे भारत में ऐसे स्टार्टअप से संपर्क कर चुका है जो ड्रोन के कारोबार में हैं.
अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय खान योजना और डिजाइन संस्थान (सीएमपीडीआई) खनन और परिचालन क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए अध्ययन व आकलन कर रहा है.'
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक सहायक कंपनी, CMPDI एक केंद्र सरकार का उद्यम है. जो कुशल जनशक्ति के साथ मिलकर नई पीढ़ी की खोज तकनीक के साथ काम करता है. ये ओसी ट्रापोग्राफिकल सर्वे, वन सीमा सीमांकन, भूमि अधिग्रहण और कंटूरिंग के लिए ड्रोन रिमोट ऑपरेशन तकनीक का उपयोग, परीक्षण के आधार पर सटीक मानचित्र तैयार करता है.
खनन क्षेत्र में जोखिम वाली घटनाएं होने के कारण मंत्रालय ड्रोन के उपयोग पर अधिक जोर दे रहा है. 2021 के दौरान कोयले और लिग्नाइट खदानों में दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या क्रमशः 27 और 29 थी. 2021 के दौरान 57 बड़े हादसे हुए जिनमें 61 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
अधिकारी ने कहा कि ऐसी घटनाओं से बचने या कम करने के लिए कोयला मंत्रालय ने रिमोट ऑपरेशन टेक्नोलॉजी, अर्ली वार्निंग रेसर सिस्टम, डस्ट सप्रेशन सिस्टम जैसी कई तकनीकों को अपनाया है. हाल ही में, सीएमपीडीआई (CMPDI) ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रेत खनन पट्टा क्षेत्रों के डीटीएम के निर्माण के लिए ड्रोन यूएवी आधारित सर्वेक्षण के लिए एक निजी ड्रोन कंपनी को 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से काम सौंपा है.