हैदराबाद : उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन चुनाव में महज 5 महीने पहले योगी कैबिनेट में 7 नए चेहरों को एंट्री मिल गई है. आखिर 5 महीने पहले ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी ? ये 7 चेहरे ओबीसी, दलित और ब्राह्मण जाति के ही क्यों हैं ? आखिर ऐसी क्या वजह रही कि पितृपक्ष में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है ?
रविवार को क्या हुआ ?
रविवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. बीते कई महीनों से इस विस्तार पर कयासों और चर्चाओं का बाजार गर्म था. टीम योगी में किस-किसकी एंट्री होगी इसे लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंथन का लंबा दौर कई बार चल चुका है. इस विस्तार को लेकर पीएम मोदी और सीएम योगी के आमने-सामने होने तक की बातें आने लगी. कुल मिलाकर मंथन, माथापच्ची, दिल्ली की लखनऊ से नाराजगी और कैबिनेट में नए नामों की अफवाह के बीच मंत्रिमंडल विस्तार अधर में लटका रहा. लेकिन अब ये विस्तार ऐसे वक्त में हुआ है जब सूबे में विधानसभा चुनाव को सिर्फ और सिर्फ 5 महीने का वक्त रह गया है और आचार संहिता लगने में उससे भी कम.
टीम योगी में किसे मिली जगह ?
योगी मंत्रिमंडल में 7 नए चेहरों को शामिल किया गया है. जितिन प्रसाद, छत्रपाल गंगवार, पलटू राम, संगीता बिंद, दिनेश खटीक, संजय गौड़ और धर्मवीर प्रजापति को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
राजनीतिक विशलेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि चौकाने वाले फैसले लेने में भाजपा बेजोड़ है. उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल की अटकलें कई महीने से लग रही थीं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि पितृपक्ष में यह कार्य होगा. भाजपा समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है. भाजपा का अति पिछड़ा व दलित वर्ग पर फोकस रहा है. केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री हैं. योगी आदित्यनाथ का दावा रहा है कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को उपलब्ध करा रही है. मंत्रिपरिषद में भी इस विचार का समावेश रहा है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले इसे अधिक मजबूती प्रदान की है. इस समय सभी पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ चल रही है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्री बनाकर भाजपा ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के विचार को आगे बढ़ाया है. वहीं, पिछड़ों और दलितों को प्रतिनिधित्व देकर सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है.
जितिन प्रसाद- करीब 4 महीने पहले तक जितिन प्रसाद कांग्रेस का 'हाथ' थामे हुए थे लेकिन 9 जून 2021 को कमल थाम लिया. जितिन प्रसाद कांग्रेस के सांसद और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. पिता जितेन्द्र प्रसाद भी कांग्रेसी थे, उन्होंने भी कांग्रेस के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था. सोनियां गांधी के अध्यक्ष बनने का विरोध किया और अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा. जितिन प्रसाद राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे लेकिन अब वो बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा हैं और यही वजह है कि उन्हें टीम योगी में जगह दी गई है.
संजीव कुमार उर्फ संजय गौड़- ओबरा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक संजीव कुमार गौड़ उर्फ संजय ने भी योगी मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री की शपथ ली. गौड़ 1978 में जनसंघ से विधायक रहे हैं, तत्कालीन जनता दल गठबंधन की सरकार में वो उद्योग मंत्रालय भी संभाल चुके हैं.
संगीता बिंद- योगी मंत्रीमंडल विस्तार में दूसरी महिला मंत्री के रूप में गाजीपुर सदर से विधायक संगीता बिंद को जगह मिली है. इससे पहले संगीता बहुजन समाज पार्टी में थी लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान वो बीजेपी में शामिल हुईं और उन्हें 2017 के विधानसभा में बीजेपी ने टिकट दिया.
धर्मवीर प्रजापति- उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य धर्मवीर प्रजापति ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. आरएसएस के स्वयंसेवक रहे धर्मवीर प्रजापति को बीजेपी में आने के बाद पार्टी ने कई जिम्मेदारियां दी. जिनमें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री, दो बार उत्तर प्रदेश संगठन मंत्री और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष पद शामिल है.