सीएम सिद्दारमैया ने केंद्र सरकार से की मांग, कन्नड़ में भी हों केंद्रीय प्रतियोगी परीक्षाएं - central competitive examinations
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कन्नड़ भाषा में केंद्रीय परीक्षाएं कराने को लेकर केंद्र सरकार से अपील की है. उन्होंने कहा कि इसे मांग को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र पहले भी लिखा था, और वह फिर से पत्र लिखेंगे. वहीं दूसरी ओर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य में आने वाले विदेशियों को कन्नड़ सीखनी चाहिए. Karnataka Chief Minister Siddaramaiah, Deputy CM DK Shivakumar, Central Examinations in Kannada Language.
बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को कहा कि 'केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षा केवल हिंदी और अंग्रेजी में आयोजित करना स्वीकार्य नहीं है. पहले मैंने प्रवेश परीक्षा कन्नड़ में आयोजित करने की मांग की थी. यदि आवश्यक हुआ तो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भाषा माध्यम पर पुनर्विचार करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी को फिर से पत्र लिखूंगा.'
बेंगलुरु के कंथीरावा स्टेडियम में शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित 68वें कन्नड़ राज्योत्सव में भाग लेने के बाद बोलते हुए, सीएम ने कहा कि 'कन्नड़ केवल सरकारी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम है, निजी स्कूलों में नहीं. लोगों में यह गलत धारणा है कि केवल निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ही प्रतिभाशाली होते हैं. उन्हें ही नौकरी मिलती है.'
सिद्धारमैया ने कहा कि 'हमने संकल्प लिया है कि हम हर काम कन्नड़ भाषा में ही करेंगे. हमें कन्नड़ के अलावा किसी अन्य भाषा में व्यवहार न करने का संकल्प लेना चाहिए. अपनी भाषा, भूमि, जल संस्कृति और कला के प्रति सराहना विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है. कन्नड़ भाषा हमारी मातृभाषा है.'
स्कूलों में मुफ्त बिजली और पीने का पानी: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की कि बुधवार से कर्नाटक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मुफ्त बिजली और पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा. सीएम ने आह्वान किया कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ना चाहिए और कम से कम एसएसएलसी तक कन्नड़ माध्यम में पढ़ाई करनी चाहिए.
साल 1956 में जब राज्य का एकीकरण हुआ तो इसे मैसूर राज्य कहा गया. साल 1973 में तत्कालीन सीएम देवराज अरासु ने मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया. नाम बदले हुए 50 साल हो गए हैं. 'कर्नाटक' नाम की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए राज्य भर में साल भर विभिन्न कार्यक्रम होंगे. उन्होंने कहा कि लोगों को राज्य के इतिहास, इसकी भाषा, कला, संगीत, संस्कृति, विरासत और परंपराओं के बारे में बताने के लिए 'हेसरयितु कर्नाटक, उसिरगली कन्नड़' (कर्नाटक का नाम, कन्नड़ इसकी सांस हो) के नारे के साथ ये कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
सीएम ने कहा कि 50 साल का कार्यक्रम इसी साल पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन पिछली सरकार ने ऐसा नहीं किया. इसलिए मैंने इस साल जश्न मनाने के लिए बजट में एक घोषणा की है. यह कार्यक्रम अगले एक साल तक आयोजित किया जायेगा. हम लोगों को जागरूक करने का काम करने जा रहे हैं.
डीप्टी सीएम डीके शिवकुमार का बयान: वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि यहां आने वाले विदेशियों को कन्नड़ सीखनी चाहिए. ऐसा माहौल बनाना चाहिए. तभी कोई राजभाषा बोल पाएगा? तमिलनाडु में तमिल बोले बिना नहीं रह सकते. लेकिन कर्नाटक में एक ऐसी स्थिति है, जहां लोग अपनी पूरी जिंदगी बिना कन्नड़ बोले गुजार देते हैं.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि कोई भाषा न सीखें. आप कोई भी भाषा सीख सकते हैं. लेकिन कन्नड़ बोलना, कन्नड़ हमारी संप्रभु भाषा है. हमने कन्नड़ को आधिकारिक भाषा घोषित किया है. कन्नड़ का प्रशासनिक कामकाज कन्नड़ में किया जा रहा है.