ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेडीयू पटना :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ मिशन 2024 के तहत विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. नीतीश कुमार 9 मई को उड़ीसा जा रहे हैं. वहां उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगे. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि 11 मई को महाराष्ट्र में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे उन्हें भी विपक्षी दलों की होने वाली बैठक के लिए आमंत्रण देंगे.
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तीनों नेताओं से हो चुकी है बातचीत:जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि ऐसे तीनों नेताओं से मुख्यमंत्री ने टेलीफोन से बातचीत कर ली है अब मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे. कर्नाटक चुनाव के बाद बिहार में विपक्षी दलों की बैठक हो सकती है. जदयू के मंत्री संजय झा ने भी पिछले दिनों कहा था कि बैठक संभव है और उसके बाद विपक्षी एकता की मुहिम और तेज होगी.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और महाराष्ट्र के शरद पवार और उद्धव ठाकरे से टेलीफोन पर बात हो गई है. विपक्षी एकजुटता के लिए लिए मुहिम तेज कर दी गई है. सीएम 9 मई को ओडिशा और 11 मई को महाराष्ट्र जाएंगे."- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेडीयू
विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की वकालत की थी:विपक्षी एकता को लेकर कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की वकालत की थी. दोनों क्षेत्रीय नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मिलकर तैयारी करने की जरूरत पर जोर दिया था. इस मुलाकात को सीएम नीतीश कुमार ने सकारात्मक बताया था.
विपक्षी एकजुटता की मुहिम होगी तेज: सोमवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा मुहिम विपक्षी एकजुटता की तेज होगी. ओडिशा से सीएम से मुलाकात करने के बाद सीधे महाराष्ट्र जाएंगे और विपक्षी दलों की होने वाली बैठक के लिए आमंत्रण देंगे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में दो नेता हैं. एक एसीपी के शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे.
ओडिशा सीएम से मुलाकात के मायने: नवीन पटनायक हमेशा से केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों के साथ रहे हैं. अगर नीतीश कुमार उन्हें साधने में सफल रहते हैं तो ये तीसरे मोर्चे के लिए बड़ी जीत होगी. नवीन पटनायक भारतीय राजनीति का ऐसा फेस रहे हैं जिन्होंने देश में न्यूटल राजनीति करने के लिए जाना जाता रहा है. लेकिन जिस तरह से बीजेपी हाल के वर्षों में ओडिशा में कैप्चर कर रही है, उससे डर है कि बीजेपी जल्द ही ओडिशा में भी काबिज हो जाएगी. इसलिए जानकारों के मुताबिक ये माना जा रहा है कि इसी गैप का फायदा उठाकर नीतीश कुमार ओडिशा में एंट्री लेना चाह रहे हैं. देखना ये है कि इस मुलाकात के बाद क्या नया समीकरण देखने को मिलेगा?