पटना: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बिहार के राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं की बेचैनी बढ़ रही है. नेताओं के सामने पार्टी को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है. नीतीश कुमार को खासतौर पर जेडीयू में टूट का भय सता रहा है. पार्टी को एकजुट करने के लिए नीतीश अपने विधायकों और सांसदों से लगातार मिल भी रहे हैं.
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टूट का डर किसे ? : आपको याद होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से यह घोषणा की है कि ''2025 में महागठबंधन को अगर बहुमत आए तो मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे'' इस ऐलान के बाद से जदयू खेमे में धकधकी बढ़ी हुई है. जदयू के 45 में से दो दर्जन विधायक ऐसे हैं, जो राजद के साथ जाने या तेजस्वी यादव के नेतृत्व में काम करने में असहज हैं. जबकि कुछ का झुकाव आरजेडी की तरफ है. ऐसी श्रेणी में जेडीयू के यादव बहुल विधायक है.
किसे मिलेगा टूट का फायदा ?: महागठबंधन में सेंध लगाने का आरोप जेडीयू और आरजेडी दोनों बीजेपी पर लगाते रहे हैं. लेकिन असल में टूट का डर महागठबंधन के भीतर ही घर करके बैठा हुआ है. हाल के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर डालें तो स्थिति आइने की तरह साफ नजर आएगी. टूट का डर अगर किसी में है तो नीतीश कुमार में सबसे ज्यादा है. क्योंकि उनके विधायकों पर बीजेपी और लालू की नजर गड़ी हुई है. इसलिए इसका फायदा अगर महागठबंधन में किसी को मिलेगा तो वो तेजस्वी यादव हैं.
फैक्टर जो असर डालने वाला है: लेकिन अब सवाल उठता है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन में सेंध लगाकर किस तरह से अपनी सरकार बना लेंगे? इसके लिए पहला और सबसे बड़ा फैक्टर 'लालू यादव' खुद हैं. लंबी बीमारी के बाद लालू प्रसाद अब राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं. पार्टी की बैठकों में शामिल हो रहे हैं. हर छोटी बड़ी घटना पर नजर बनाए हुए हैं. जेडीयू और आरजेडी नेताओं की बीच हुई खींचतान में लालू यादव ने अपने विधायकों को ताकीद भी की है. कुल मिलाकर देखें तो लालू यादव एक्टिव हैं.
तेजस्वी कैसे बनेंगे मुख्यमंत्री ?: अगर लालू यादव का फार्मूला काम किया तो इसका सीधा फायदा आरजेडी को मिलेगा, क्योंकि जादुई आंकड़े को छूने के लिए 122 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. अभी जेडीयू के साथ महागठबंधन में विधायकों की संख्या 160 है. मांझी अपने 4 विधायकों के साथ बीजेपी के खेमे को सपोर्ट कर रहे हैं. अगर जेडीयू के 45 विधायकों को 160 की कुल विधायकों की संख्या से निकाल दें तो महागठबंधन में 115 विधायक बचेंगे. ऐसे में बहुमत पाने के लिए अकेले आरजेडी को 9 विधायकों की दरकार होगी. 9 विधायक अगर किसी तरह से इधर से उधर हो जाएं तो बिहार में एक बार फिर बाजी पलट जाएगी. 124 विधायकों के साथ आरजेडी सरकार में आ जाएगी. एआईएमआईएम के एक विधायक भी तब तेजस्वी को ही सपोर्ट करेंगे.