पटना : बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है. मंगलवार को विधानसभा में जातीय आधारित गणना का आर्थिक रिपोर्ट पेश किया गया. जिसपर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के सवालों पर खुलकर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब पहले गणना हुई नहीं तो लोग कैसे कहते हैं कि जाति की संख्या कम गयी. यह कहना पूरी तरह बोगस है.
"कुछ लोग कहते हैं कि इस जाति की जनसंख्या बढ़ गई या घट गई लेकिन ये बताइए कि जब इससे पहले जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है तो आप कैसे कह सकते हैं कि इस जाति की संख्या बढ़ गई या घट गई? हम शुरूआत से केंद्र सरकार से कहते आए हैं कि वे भी जातिगत जनगणना करें. जो जनगणना होनी थी वो नहीं हुई, तो जितना जल्दी हो सके शुरू करें.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
'..आप को हमारे मित्र हैं सुन लीजिए' : मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार ज्ञानी जैल सिंह ने 1990 में मुझे कहा था कि जाति आधारित गणना पर काम कीजिये. उसके बाद देश के कई नेता से मिले. बीजेपी विधायक प्रेम कुमार ने मुख्यमंत्री को टोकना चाहा तो सीएम ने कहा आप तो हमारे मित्र हैं, मेरी बात सुन लीजिए, हम तो आपके घर भी गए हैं.
जब असहज हो गयीं महिला विधायक : जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग लड़कियों को शिक्षित कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि प्रजनन दर में कमी आयी है. इस दौरान सीएम ने कुछ ऐसी बातों का भी जिक्र किया जिससे महिला विधायकें असहज हो गयीं, अगल-बगल झांकने लगी.
आरक्षण को बढ़ाया जाए : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पिछड़ा-अतिपिछड़ा की आबादी बढ़ी है, इसलिये 50 से बढ़ाकर आरक्षण 65 प्रतिशत किया जाय. बीजेपी ने इसका सपोर्ट किया. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 94 लाख गरीब परिवारों को दो लाख रुपये मदद दी जाएगी. भूमिहीन परिवार को जमीम खरीदने के लिये 60 हजार से बढ़ाकर एक लाख दिया जाएगा.