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पायलट को जवाबः अधिवेशन में सीएम गहलोत बोले- इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी

जयपुर में हुए राजस्थान कांग्रेस के अधिवेशन (Rajasthan Congress session) के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट का बिना नाम लिए सरकार रिपीट करने को लेकर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि तीन साल के शासन में कोई एंटी इंकंबेंसी नहीं है और सरकार 2023 में रिपीट होगी.

CM Gehlot says this time Congress government will repeat
सीएम गहलोत बोले- इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी

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Published : Feb 20, 2022, 5:33 AM IST

जयपुर : राजस्थान कांग्रेस के अधिवेशन (Rajasthan Congress session) में शनिवार को कांग्रेस विधायकों और संगठन के नेताओं ने खुलकर अपनी बातें रखीं. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बिना नाम लिए सचिन पायलट के सरकार रिपीट नहीं होने के सवाल का जवाब दे दिया. सीएम गहलोत ने कहा (CM Gehlot spoke in Congress session) कि पहली बार हम कर्मचारियों की नाराजगी के चलते चुनाव हार गए. दूसरी बार मोदी लहर के चलते सरकार नहीं बना सके, लेकिन इस बार सरकार के कामकाज से जनता संतुष्ट है.

3 साल के बाद भी कोई एंटी इंकंबेंसी नहीं दिखाई दे रही है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुझे तीन बार मुख्यमंत्री बनाया है और इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी. मुख्यमंत्री के इतना बोलते ही बिरला सभागार में कांग्रेस नेताओं ने 'आप चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनोगे' के नारे लगाने शुरू कर दिए.

जिला लेवल पर भी अधिवेशन में प्रस्ताव पारित हो
अधिवेशन में सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेश स्तर के बाद अब जिला लेवल पर भी अधिवेशन करवाकर वहां भी प्रस्ताव पारित होने चाहिए और समस्याओं को लेकर जिला अध्यक्ष के साथ डेलिगेशन जाए. इससे किसी कलेक्टर, बीडीओ और मंत्री की हिम्मत नहीं होगी कि आपकी बात का सम्मान नहीं होगा. अधिवेशन में सीएम गहलोत ने कहा कि कांग्रेस की परिपाटी अलग है और गांधी परिवार का राजस्थान से अलग नाता था. इंदिरा और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद राजस्थान आए थे. 3 साल में राज्य में अच्छा काम हुआ और 23 फरवरी को शानदार बजट पेश करेंगे. जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं के आज के सुझाव का सम्मान करेंगे. गहलोत ने कहा कि संगठन सरकार को प्रस्ताव देकर काम बताएं, जिससे कार्यकर्ताओं को लगेगा हमारी सरकार ने मांग मानी.

अधिवेशन को पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी संबोधित किया.

मीठी बातों के साथ ही थोड़ी कड़वी बातें भी जरूरी
राजस्थान कांग्रेस के अधिवेशन में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने सम्बोधन में कहा कि कार्यकर्ताओं का नेताओं, मंत्री और सीएम के साथ संवाद जरूरी है. ऐसे में मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि वे महीने में एक दिन संगठन के लोगों से चर्चा करें. डोटासरा ने कहा कि मीठी-मीठी बातों के साथ थोड़ी-थोड़ी कड़वी बातें जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि सीएम से आग्रह है कि आज ही अधिकारियों को ये निर्देश दें कि संभाग, जिला और ब्लॉक स्तर तक तुरंत जनसुनवाई करें. मंत्री और विधायक भी सुनवाई करके जन समस्याओं का निराकरण करें.

टिकट से पहले विधायकों का परफॉर्मेंस चेक हो
गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा ने भी कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन में अपनी बात रखी. रघु शर्मा ने कहा कि 'सिटिंग गेटिंग का फार्मूला छोड़ो, विधायकों की परफॉर्मेंस चेक करो'. उन्होंने कहा कि विधायकों को खूब दिया, अब सिटिंग गेटिंग बन्द कर दो. उन्होंने कहा कि पिछली बार आपने मुझे सैकड़ों करोड़ दिए फिर भी हार गया. विधायकों को जो दिया उसका नीचे मैसेज गया कि नहीं इसके बारे में जानकारी कर यह पता लगाना जरूरी है कि कहीं विधायक कट ऑफ तो नहीं हो गया.

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भंवर जितेंद्र बोले- मैं विधायक था तो वसुंधरा हमारे क्षेत्र में कोई सड़क पास नहीं होने देती थीं
राजस्थान कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान कांग्रेस महासचिव भंवर जितेंद्र ने भी अपनी बात रखी. भंवर जितेंद्र ने मुख्यमंत्री से ब्यूरोक्रेसी को लेकर शिकायत तो की ही साथ ही यह भी कहा कि जब मैं विधायक था और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं तो मेरे क्षेत्र में कोई सड़क पास नहीं होती थी. जबकि हमारी सरकार में भाजपा विधायकों को लगातार स्कूल, कॉलेज और सड़कें मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि 'मैं जिला अध्यक्ष रहा हूं ऐसे में जानता हूं कि ब्लॉक अध्यक्ष की भावना क्या होती है'. ऐसे में हमें जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष की बातें भी सुननी चाहिए.

दूर-दूर से आए छोटे कार्यकर्ता रहे महरूम
पीसीसी के सम्मेलन में दूर-दूर से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष भी पहुंचे. वे इस उम्मीद के साथ प्रदेश कांग्रेस के सम्मेलन में आए थे कि उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा. लेकिन यह सम्मेलन केवल मंत्रियों, विधायकों और बड़े नेताओं तक सिमट कर रह गया. केवल सीकर की जिला अध्यक्ष और कांग्रेस उपाध्यक्ष हरिमोहन शर्मा के बेटे को सम्मेलन में विधायकों, मंत्रियों और बड़े नेताओं के अलावा बोलने का मौका मिला. ऐसे में कुछ नाराजगी इन छोटे नेताओं में जरूर रही कि इतनी दूर से बुलाए जाने के बाद भी उन्हें बोलने का मौका नहीं मिला.

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