रायपुर :मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के पारित किए गए आरक्षण संशोधन विधेयक को संविधान की नवमीं सूची में शामिल करने की अपील की है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिसंबर 2022 में पारित आरक्षण संशोधन विधेयक के मुताबिक अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
सीएम भूपेश बघेल ने खत में क्या लिखा:मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि "छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर आरक्षण के संशोधित प्रावधान को नवमीं सूची में शामिल किया जाए, ताकि वंचितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय मिल सके. छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के 42 प्रतिशत लोग हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में गरीबों की संख्या देश में सर्वाधिक करीब 40 फीसदी है. राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक दशा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर है. इन वर्गों के तीन चौथाई भाग कृषक सीमांत और लघु कृषक हैं, जिनमें बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर भी हैं.
पुराना आरक्षण विधेयक हाईकोर्ट ने किया रद्द : मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि "राज्य में वर्ष 2013 से अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के लिए 12, 32 और 14 प्रतिशत (कुल 58 प्रतिशत) आरक्षण का प्रावधान किया था. जिसे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 2022 में रद्द कर दिया. राज्य की विधानसभा ने दिसंबर 2022 में दोबारा सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और ईडब्ल्यू एस लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर दिया. यह क्रमश: 13, 32, 27 और 4 प्रतिशत है, लेकिन आरक्षण राज्यपाल के पास लंबित है. सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने नवंबर 2022 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराए जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है."
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दूसरे राज्यों ने किया है प्रावधान : सीएम भूपेश ने पत्र में लिखा है कि "पिछले महीने झारखंड और कर्नाटक विधानसभा में भी कई वर्गों के आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं. तमिलनाडु राज्य, जहां प्रति व्यक्ति आय छत्तीसगढ़ से बहुत अधिक है और पूर्वोत्तर के अनेक राज्यों में जनजातियों के साथ ही पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है. छत्तीसगढ़ राज्य की भी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संशोधित प्रावधान को संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल करने से ही वंचितों और पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय मिल सकेगा."