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Cloth made from plants: रायपुर में पौधों से कपड़ा तैयार, बिना AC गर्मी में भी आपको रखेगा ठंडा, जानिए इसकी खासियत - Cloth made from plants

Unique Plant Fiber Clothing राजधानी में जल्द पौधों से कपड़ा तैयार किया जाएगा. इसके लिए मशीन तैयार कर ली गई है और उसे पेटेंट भी कराया गया है. पेटेंट कराने वालों का दावा है कि इस कपड़े से पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी. धीमी धीमी खुशबू भी आएगी. गर्मी में बिना एसी के यह कपड़ा ठंडक का एहसास कराएगा.

Cloth made from plants in Raipur
रायपुर में पौधों से कपड़ा तैयार

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Published : Jan 30, 2023, 9:31 PM IST

रायपुर में पौधों से कपड़ा तैयार

रायपुर:रायपुर निवासी नम्रता दिवाकर और रविकांत सोनी ने पौधों से कपड़ा बनाने वाली मशीन बनाया है. रविकांत सोनी ने बताया कि "फाइबर बनाने के लिए खस वेटेबल, सिट्रोनेला, लेमन ग्रास सहित अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. एक निश्चित मात्रा में मिलाकर यूज किया जाता है. इससे इन कपड़ों की खुशबू लगभग 3 से 5 साल तक बनी रहती है. यह एंटी डिप्रेशन और कूलएंड भी है. कीड़े मकोड़े, छिपकली और मॉस्किटो को भी दूर भगाता है. इस पर अब भी शोध जारी है."


ऐसे बनाई गई मशीन:रविकांत ने बताया कि " खड़गपुर से लेकर भावनगर तक और अंबाला से लेकर कोयंबटूर तक हमने इससे जुड़े लोगों से संपर्क किया. उनके बताए स्थानों से अलग अलग पार्ट एकत्र किए. फिर उसे असेंबल किया. अब भी इस मशीन में इंप्रूवमेंट का काम जारी है. रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर सहित अन्य जगहों पर इससे जुड़े जितने भी लोग हैं, उनसे हमने संपर्क किया और बात की है. इस पर्टिकुलर मशीन पर काम करते करते हम इस कंडीशन में पहुंच गए कि उसका पेटेंट फाइल किया जा सके. 10 दिन पहले हमको यह पेटेंट मिल गया है. अब तक इस मशीन को किसी ने नहीं बनाया है. किसी अन्य देश में भी नहीं बनी है. हम पहले हैं, जिसने यह मशीन बनाई है."

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"फरवरी के लास्ट तक शुरू हो जाएगा प्रोडक्शन": रविकांत ने बताया कि "फरवरी लास्ट तक हम कमर्शियल प्रोडक्शन पर आ जाएंगे. हमारी एक असेंबल लाइन पूरी रेडी है. फाइबर मेकिंग से लेकर एंड प्रोडक्ट बनाने तक की मशीन भी रेडी है. जिससे 1 साल में हम लगभग 3 से 4 हजार पर्दे आराम से बना सकते हैं."

"यूपी और पांडिचेरी से कलेक्ट करते हैं रॉ मटेरियल": रविकांत ने बताया कि "रॉ मटेरियल अलग अलग जगहों से कलेक्ट किया जाता है. हम एक पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. हमने पांडिचेरी और यूपी के बस्ती में बात कर रखी है. एग्रीकल्चर कॉलेज ने भी हमारी थोड़ी मदद की है. हमारे लिए 30 एकड़ में कोरिया में प्लांट लगाए गए हैं. उनसे ही हम पौधे ले रहे हैं."

मशीन बनाने में 12 से 15 लाख रुपये का आएगा खर्च:रविकांत ने बताया कि "मशीन में लगभग 10 से 12 लाख रुपए लग चुके हैं. इसको अब तक किसी ने नहीं बनाया है. समय और आवश्यकता के अनुसार इस मशीन को और भी इम्प्रूव किया जा रहा है. लगभग 12 से 15 लाख रुपए में यह मशीन रेडी हो जाएगी."

5 लाख की ग्रांट सहित मिल चुके हैं कई पुरस्कार:रविकांत ने बताया कि "एग्रीकल्चर कॉलेज द्वारा अनुभव प्रोग्राम आयोजित किया गया था, जिसमें हमने हिस्सा लिया. हमारे स्टार्टअप का चयन हुआ. उसके थ्रू हमें 5 लाख रुपये दिए गए. फिर हमें थोड़ी हिम्मत आई. हम इस काम को लेकर आगे बढ़ सके. इसके बाद हमने अलग अलग जगह पर संपर्क किया. गुजरात सहित अन्य जगहों से ग्रॉन्ट मिला है. उसके पैसे लगाकर हमने इस पूरे प्रोजेक्ट को डेवलप किया है. जब तक यह पूरा डेवलप नहीं होता, तब तक प्रोसेस जारी रहेगा."

डिप्रेशन होगा दूर, मिलेगी पॉजिटिव एनर्जी:नम्रता दिवाकर ने बताया कि इस मशीन से तैयार "कपड़ों में मौजूद एरोमा डिप्रेशन और तनाव को दूर करती है. इस खुशबू के ऊपर हमारे पास रिसर्च भी मौजूद है. उससे डिप्रेशन दूर होता है. इससे आपको बहुत रिफ्रेश महसूस होगा. जिन लोगों को हमने सैंपल के तौर पर दिया है, उनका फीड बैक है कि जैसे ही घर में इंटर करोगे तो कपड़े की खुशबू से दिमाग रिवाइव हो जाता है. इसमें बहुत अच्छा एरोमा है. आप इस खुशबू से हेडेक महसूस नहीं करेंगे."

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कीड़े, मच्छर, छिपकली भी नहीं आएंगे पास:नम्रता दिवाकर ने बताया कि "नम्रता ने बताया कि इस कपड़े से छिपकली कीड़े मकोड़े मच्छर घर में नहीं आते हैं. इस तरह के कपड़े बनाने का आइडिया भी मच्छरों की वजह से आया था. अब दरवाजे पर पर्दा लगा रहता है, उसकी वजह से मच्छर नहीं आते हैं. लोगों का फीडबैक भी आया है कि इस पर्दे के लगाने के बाद घरों में मच्छर कम आ रहे हैं.''

3 से 5 साल तक होगी इन कपड़ों की लाइफ:नम्रता ने कहा कि "इन कपड़ों की लाइफ 3 से 5 साल की है. इसे यूज किया गया है. वहीं खुशबू भी तब तक बरकरार रहती है. हो सकता है यह लंबा भी चल जाए और हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि इसे रिसाइकिल भी किया जा सके."

पर्दे की कीमत लगभग 2 से ढाई हजार रुपए: नम्रता ने बताया कि "इसके एक्सपोर्ट के ऑप्शन ज्यादा नजर आ रहे हैं. हॉट एंड ह्यूमिड क्लाइमेट है. ग्लोबल कंट्रीज से हमारे पास काफी डिमांड आ रही है. अभी हम प्रीमियम कस्टमर को टारगेट कर रहे हैं और भी लोगों ने अपने बंगलों में लगाने के लिए अप्रोच किया है. जो भी नेचर प्रकृति प्रेमी लोग हैं, उनके लिए बेस्ट ऑप्शन है. इस पर्दे की कीमत दो से ढाई हजार रुपये है.''

पहनने के लिए भी जल्द उपलब्ध होंंगे ये फैब्रिक:नम्रता ने कहा कि "पहनने के लिए कपड़ा बनाने का भी प्रोसेस जारी है. हो सकता है जल्द हम उस लेवल तक पहुंच जाएंगे. लेकिन वर्तमान में उपलब्ध राशि और उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए पर्दे, कारपेट सहित अन्य होम टेक्सटाइल ही बना रहे हैं. इसमें भी एक से एक सुंदर डिजाइन बनाई जा रही है."

बिना एसी गर्मी में भी आपको रखेगा ठंडा:नम्रता ने बताया कि "हमारे पास काफी सारे आर्डर हैं, प्री बुकिंग है. जिन्होंने यूज किया है, उनका फीडबैक काफी बढ़िया आ रहा है. गर्मी के लिए तो यह प्लेसिंग पॉइंट है. जिसको नेचुरल ठंडी हवा खानी है. एसी से बहुत से लोगों को कई तरह की प्रॉब्लम होती है, मुझे खुद एसी से प्रॉब्लम है, हेडेक हो जाता है. साथ ही नाक बंद हो जाती है, बार बार सर्दी हो जाती है, स्किन ड्राई हो जाती है. एसी को यदि इग्नोर करना है, तो यह आपको पंखे में भी ठंडा रख सकता है."

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