बाड़मेर :राजस्थान मेंसीमा के इस पार भारत में बाड़मेर-जैसलमेर के कई गांव ऐसे हैं जिनके रिश्तेदार सीमा के उस पार पाकिस्तान में रहते हैं. मुल्क जुदा हो गए लेकिन दोनों देशों के इन ग्रामीणों में आज भी रोटी-बेटी का रिश्ता कायम है. यहां से लोग बारात लेकर जाते हैं और दुल्हनें लेकर आते हैं. इसी तरह उस पार से भी रिश्तेदार अपनों से मिलने आते हैं.
1965 में भारत-पाक युद्ध के समय थार एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया था. इसके 41 साल बाद 2006 में इस ट्रेन को फिर से शुरू किया गया. दशकों बाद सीमा के दोनों ओर बसे रिश्तेदारों के लिए थार एक्सप्रेस ने रिश्तों की रेल का काम किया. लेकिन थार एक्सप्रेस के बंद होने के बाद एक बार फिर रिश्तों की यह रेल सियासी तारबंदी में फंसी हुई है.
हिंदुस्तान में रहने वाले जैसलमेर जिले के विक्रम सिंह बताते हैं कि थार एक्सप्रेस बंद होने की वजह से उनकी पत्नी वापस उनके साथ हिंदुस्तान नहीं आ सकी. ऐसे न जाने और कितने लोग हैं जिनकी रिश्तेदारी पाकिस्तान के सिंध इलाकों में है. लेकिन अब वे अपनों से मिल नहीं पाते.
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थार एक्सप्रेस एकमात्र जरिया था जिससे दोनों देशों की आवाम अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए सीमा पार आ-जा सकती थी. इलाके के लोगों का कहना है कि थार एक्सप्रेस के जरिए हर साल 40 से 50 बारातें भारत से पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जाती थीं और शादी करने के बाद दुल्हन को हिंदुस्तान लेकर आती थीं.
लेकिन पुलवामा अटैक और एयर स्ट्राइक के बाद ये सिलसिला बंद हो गया. जैसलमेर में कई लोग तो ऐसे हैं जिनकी सगाई सिंध में हो गई थी. लेकिन थार के पहिए रुकने के बाद शादी नहीं हो सकी.