नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (The Chief Justice of India NV Ramana) ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय विवाद के लिए मध्यस्थता (Arbitration For International Dispute) सबसे उपयुक्त तंत्र है और सार्वभौमिक विवाद तंत्र (Universal Dispute Mechanism) विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब आसान यात्रा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ, दुनिया एक वैश्वीकृत गांव बन गई है. जो विवादों के निवारण के लिए एक विशेष तंत्र की मांग करती है. ऐसा तंत्र जो सभी के लिए स्वीकार्य और निष्पक्ष हो. मुख्य न्यायाधीश दुबई में 'वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता' (Arbitration in the era of Globalization) पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उनके साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हिमा कोहली भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लिया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दुनिया बदल रही है, अब अर्थव्यवस्थाएं खुली हुई हैं. व्यापार और अर्थव्यवस्था में भारी वृद्धि हुई है. 1980 के दशक के 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह 19 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है. यह और अधिक बढ़ेगी. ऐसे में दुनिया के एक हिस्से में संकट, देशों के बीच विवाद, प्राकृतिक आपदाएं, चल रही महामारी का वैश्विक व्यापार पर स्थायी प्रभाव पड़ता है. जिसका प्रभावी समाधान आवश्यक है. उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रों के अपने अतीत और सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग कानून हैं. इसलिए एक सार्वभौमिक तंत्र भी विकसित किया जाना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश ने मध्यस्थता की आवश्यकता पर जोर दिया
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (The Chief Justice of India NV Ramana) यूएई की यात्रा पर हैं. शनिवार को मुख्य न्यायाधीश ने दुबई में 'वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता' (Arbitration in the era of Globalization) पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विवाद के लिए मध्यस्थता (Arbitration For International Dispute) सबसे उपयुक्त तंत्र है और सार्वभौमिक विवाद तंत्र (Universal Dispute Mechanism) विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए.
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मध्यस्थता में भारत की स्थिति के बारे में बात करते हुए, CJI ने कहा कि जब भी उनसे भारतीय न्यायपालिका के निवेश के अनुकूल होने के बारे में पूछा जाता है, तो वह हमेशा कहते हैं कि भारतीय न्यायपालिका के पास सभी पक्षों के साथ समान व्यवहार करने के लिए पूर्ण स्वतंत्रता और निहित संवैधानिक शक्ति है. उन्होंने कहा कि भारतीय अदालतें मध्यस्थता की समर्थक हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि मध्यस्थता को और अधिक कुशल बनाने के लिए, समय-सीमा का पालन करना होगा, पार्टियों की स्वायत्तता को बनाए रखना होगा, चुनौती के लिए आधार न्यूनतम होना चाहिए, स्टे लगाना सामान्य नहीं होना चाहिए, निर्णय लेने और मजबूत प्रशिक्षण में व्यावहारिक ज्ञान को महत्व दिया जाना चाहिए. युवा पेशेवरों को मौके मिलने चाहिए. सीजेआई ने कहा कि बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग करना होगा. सीजेआई यूएई की यात्रा पर हैं. इस दौरान वे यूएई के केंद्रीय कानून मंत्री से मिले. सीजेआई ने उनसे प्रत्यर्पण के आदेश और यूएई की जेलों में बंद भारतीयों को कांसुलर की सुविधा देने के संबंध में भी बात की.