नई दिल्ली (भारत): देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने जिला न्यायपालिका पर भरोसा करना सीखने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि यह वास्तव में न्याय की तलाश करने वाले आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करेगी. देश के 50वें सीजेआई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला न्यायपालिका देश की न्यायिक प्रणाली के मामलों में उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय हैं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जघन्य मामलों की सुनवाई करने वाले निचली अदालतों के जज आरोपी को जमानत देने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने का डर होता है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने की अनिच्छा के कारण उच्च न्यायपालिका में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है. निचली अदालतों में जज जमानत नहीं देते हैं. ऐसा इसलिए नहीं होता कि उन्हें अपराध की समझ नहीं है. लेकिन वे जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने से डरते हैं.
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इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे. उन्होंने तबादलों को लेकर सीजेआई से मिलने वाले कई वकीलों पर चिंता जताई. रिजीजू ने कहा कि मैंने सुना है कि कुछ वकील स्थानांतरण मामले के संबंध में सीजेआई से मिलना चाहते हैं. यह एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है, लेकिन अगर यह कॉलेजियम के हर फैसले पर होने लगे तो यह कहां तक ले जाएगा.
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश की न्यायपालिका के 50 वें प्रमुख बने. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक रहेगा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का स्थान लिया जो 9 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए. जस्टिस चंद्रचूड़ देश के प्रगतिशील और उदार न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति भी बेहद संवेदनशील माना जाता है.