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निशाना बनाये जाने के डर से निचली अदालतों के जज जमानत देने से कतराते हैं : सीजेआई

बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने की अनिच्छा के कारण उच्च न्यायपालिका में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है. निचली अदालतों में जज जमानत नहीं देते हैं. ऐसा इसलिए नहीं होता कि उन्हें अपराध की समझ नहीं है. लेकिन वे जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने से डरते हैं.

CJI DY Chandrachud
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

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Published : Nov 20, 2022, 10:35 AM IST

नई दिल्ली (भारत): देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने जिला न्यायपालिका पर भरोसा करना सीखने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि यह वास्तव में न्याय की तलाश करने वाले आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करेगी. देश के 50वें सीजेआई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला न्यायपालिका देश की न्यायिक प्रणाली के मामलों में उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय हैं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जघन्य मामलों की सुनवाई करने वाले निचली अदालतों के जज आरोपी को जमानत देने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने का डर होता है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने की अनिच्छा के कारण उच्च न्यायपालिका में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है. निचली अदालतों में जज जमानत नहीं देते हैं. ऐसा इसलिए नहीं होता कि उन्हें अपराध की समझ नहीं है. लेकिन वे जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने से डरते हैं.

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इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे. उन्होंने तबादलों को लेकर सीजेआई से मिलने वाले कई वकीलों पर चिंता जताई. रिजीजू ने कहा कि मैंने सुना है कि कुछ वकील स्थानांतरण मामले के संबंध में सीजेआई से मिलना चाहते हैं. यह एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है, लेकिन अगर यह कॉलेजियम के हर फैसले पर होने लगे तो यह कहां तक ​​ले जाएगा.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश की न्यायपालिका के 50 वें प्रमुख बने. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक रहेगा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का स्थान लिया जो 9 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए. जस्टिस चंद्रचूड़ देश के प्रगतिशील और उदार न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति भी बेहद संवेदनशील माना जाता है.

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जस्टिस चंद्रचूड़ की सबसे खास बात यह है कि वह दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते हैं. 11 नवंबर, 1959 को जन्मे जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. वह 31 अक्टूबर, 2013 से सर्वोच्च न्यायालय में अपनी नियुक्ति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च, 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे.

उन्होंने 1998 से बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था. उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था.

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(एएनआई)

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