नई दिल्ली : पिछले साल नवंबर का एक ठंडा दिन था जब असमद अली (14) अपने कबूतरों के साथ खेल रहा था, और कुछ पक्षियां झुंड से अलग हो गई. वह उनका पीछा करने के लिए दौड़ा. अपने पक्षियों के पीछे भागते हुए वह थक गया लेकिन वह पक्षियों को पकड़ नहीं पाया. थका हुआ असमद अली अब घर वापस जाने के लिए लौटा. पर उसने खुद को कुछ वर्दीधारियों से धिरा देखा. इससे पहले असमद कुछ समझ पाता उन वर्दीधारियों ने उसे रोका और झुक जाने के लिए कहा. उसकी जेबें चेक की गईं और लंबी पूछताछ शुरू हुई. असमद डर से कांप रहा था जब उसे बताया गया कि जिस जमीन पर वह खड़ा है वह भारत की है.
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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के टाट्रिनोट गांव के युवा लड़के को भारतीय सेना ने सीमा पार करते हुए पकड़ा था. कुछ कागजी कार्रवाई के बाद, असमद को जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया. उसके खिलाफ इग्रेस एंड इंटरनल मूवमेंट ऑर्डिनेंस (E&IMCO) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जुवेनाइल अदालत में मुकदमा शुरू हुआ था. आठ महीने हो गए हैं कि वह रणबीर सिंह पुरा जिले के एक जुवेनाइल गृह में पाकिस्तान लौटने की प्रतीक्षा कर रहा है. 16 वर्षीय खय्याम मकसूद की कहानी भी इससे अलग नहीं है. मकसूद भी अगस्त 2021 में सीमा पार कर भारत आ गया था. किशोर न्याय बोर्ड में उसका मुकदमा भी चल रहा है. इस दौरान, मकसूद एक बार भी अपने परिवार से बात नहीं कर पाया है.