अमरावती : आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में बड़े पैमाने पर भूमि घोटाला मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं जिसने पूरे राज्य में सनसनी मचा दी है. सीआईडी की जांच में यह स्कैम सामने आया है.
गणेश पिल्लई को राजस्व रिकॉर्ड के बारे में व्यापक अनुभव और ज्ञान था. उन्होंने जाली दस्तावेजों के जरिए चित्तूर जिले के 13 मंडलों में फैले 93 सर्वेक्षण नंबरों के तहत अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर लगभग 2,320 एकड़ सरकारी भूमि को हस्तांतरित की गई.
तीन अक्टूबर 2021 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि सीआईडी डीएसपी के अनुसार, मोहन गणेश पिल्लई (72) ने 1977-1984 में 184 गोल्लापल्ले गांव में ग्राम करनम (Grama Karanam) के रूप में काम किया था. राज्य में ग्राम करनम की व्यवस्था के समाप्त होने के बाद, मोहन गणेश पिल्लई 1992 में एक वीएओ के रूप में सरकारी सेवाओं में शामिल हुए और बाद में गोलापल्ली गांव में वीआरओ के रूप में काम किया. 2010 में वे सेवानिवृत्त हुए.
2005 में राजस्व विभागों के कम्प्यूटरीकरण के दौरान, यह पता चला था कि भूमि घोटाला हुआ. गणेश पिल्लई ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर सरकारी भूमि हस्तांतरित की. उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि के आदान-प्रदान के लिए एस्टेट गांवों को लक्षित किया गया था.
राजस्व गांवों के भीतर की जमीनों का ब्योरा फाइलों में था और अवैध रूप से संपत्ति गांवों को सौंपने में अनियमितताएं जारी रहीं. गणेश पिल्लई ने सीसीएलए वेबसाइट के माध्यम से एकत्र किए गए विवरण के साथ अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जंगल के पास की भूमि और पहाड़ों को ऑनलाइन अपलोड किया.
पढ़ें :-आंध्र प्रदेश सरकार ने SC में दायर याचिका ली वापस, जानिए क्या है पूरा मामला
विभागों के अनुचित प्रबंधन के कारण कई अनियमितताएं थीं. वर्षों तक रिकॉर्ड का रखरखाव न करने जैसी त्रुटियों के कारण यह घोटाला हुआ. जानकारों का कहना है कि पूर्व की भांति यदि अभिलेखों में भूमि क्षेत्र के आधार पर निबंधन एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई नियमित रूप से की जाती है तो ऐसी अनियमितताएं होने की संभावना रहती है.