नई दिल्ली : भाजपा को मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राज्य के कद्दावर नेता हिमंत विश्व सरमा के बीच कोई एक नाम तय करना है. मगर यह इतनी जटिल प्रक्रिया हो गई है कि कोई भी कयास लगाना मुश्किल है. पार्टी यह चाहती है कि राज्य में मुख्यमंत्री चयन के बाद किसी तरह का बिखराव न हो लोकसभा चुनाव से पहले वहां पार्टी में कोई टूट-फूट के आसार न बनें.
सूत्रों की बात करें तो जहां हिमंत बिस्व सरमा कांग्रेस से आए हुए नेता हैं लेकिन उनका जनाधार काफी ज्यादा है. जनता के बीच काफी लोकप्रिय नेता हैं. वही सर्वानंद सोनोवाल भी लोकप्रिय नेता हैं. मगर पार्टी के अंदर उनकी स्वीकार्यता पिछले 5 सालों में कुछ कम होती गई है.
कई मुद्दों पर पार्टी विधायकों के साथ विरोधाभास भी रहा. पार्टी के विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि हिमंत सरमा के नाम पर ज्यादा से ज्यादा विधायक खड़े नजर आ रहे हैं, वही सर्वानंद सोनोवाल को दोबारा रिपीट करने पर विरोधाभास है. हालांकि सर्बानंद सोनोवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के विश्वस्त नेताओं में से एक हैं.
सूत्रों की माने तो सर्वानंद सोनोवाल के पीछे संघ का बैकअप है और प्रधानमंत्री भी सोनोवाल को काफी ज्यादा पसंद करते हैं. मगर सरमा गृह मंत्री अमित शाह की पसंद हैं. इसलिए पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है क्योंकि सरमा के साथ काफी बड़ी संख्या में विधायक हैं.
उन्होंने कांग्रेस भी इसीलिए छोड़ी थी क्योंकि तरुण गोगोई के कारण उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. उनकी महत्वाकांक्षा जगजाहिर है. ऐसे में पार्टी के लिए चुनाव के बाद कि ये स्थिति काफी जटिल है. गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर बैठक की. सूत्रों की मानें तो यह बैठक भी बेनतीजा ही रही और आम सहमति नहीं बन पाई.