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चीनी जासूसी पोत युआन वांग 5 श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचा

भारत की आपत्ति के बावजूद चीनी शोध पोत युआन वांग-5 श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंच गया है. श्रीलंका सरकार ने उसे अपने बंदरगाह पर आने की इजाजत दे दी थी. श्रीलंका के डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार युआन वांग-5 आज सुबह हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा.

चीनी जासूसी पोत युआन वांग 5 श्रीलंका पहुंचा, हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचा
चीनी जासूसी पोत युआन वांग 5 श्रीलंका पहुंचा, हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचा

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Published : Aug 16, 2022, 10:20 AM IST

Updated : Aug 16, 2022, 9:46 PM IST

कोलंबो (श्रीलंका): चीन का उच्च प्रौद्योगिकी वाला एक अनुसंधान जहाज मंगलवार को श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. कुछ दिनों पहले कोलंबो ने भारत की चिंताओं को देखते हुए बीजिंग से इस जहाज का बंदरगाह पर आगमन टालने का अनुरोध किया था. चीन का बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी जहाज ‘युआन वांग 5’ स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. यह जहाज 22 अगस्त तक यहां रुकेगा.

यह जहाज पहले 11 अगस्त को बंदरगाह पर पहुंचना था लेकिन श्रीलंकाई प्राधिकारियों से मंजूरी न मिलने के कारण इसके आगमन में देरी हुई. भारत द्वारा सुरक्षा चिंता व्यक्त किये जाने के बाद श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह चीनी दूतावास से इस जहाज का आगमन टाल देने का अनुरोध किया था. कोलंबो ने शनिवार को जहाज को 16 से 22 अगस्त तक बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी दे दी थी. गौरतलब है कि भारत ने श्रीलंका के बंदरगाह पर ठहरने के दौरान इस जहाज की निगरानी प्रणाली द्वारा भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी की कोशिश करने की आशंका जतायी थी.

श्रीलंका के डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार युआन वांग-5 आज सुबह हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा. चूंकि, यह पोत उच्च तकनीकों से लैस है, इसलिए भारत ने इससे जासूसी की आशंका जताई थी. अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत को पहले 11 अगस्त को चीनी-पट्टे पर हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक करने के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन भारत द्वारा अपनी चिंताओं को उठाने के बाद इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया था.

डेली मिरर ने बताया कि आज सुबह जहाज श्रीलंकाई बंदरगाह पर उतरा. श्रीलंका ने पुष्टि की थी कि उसने चीन से युआन वांग 5 पोत की हंबनटोटा बंदरगाह की यात्रा स्थगित करने के लिए कहा है. चीनी दूतावास ने श्रीलंका सरकार से जहाज को डॉक करने के लिए आवश्यक सहायता और अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया था. 12 अगस्त को, चीनी दूतावास ने श्रीलंका के विदेश मंत्रालय को एक राजनयिक नोट के माध्यम से सूचित किया था कि जहाज युआन वांग -5 को 16 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने के लिए निर्धारित है. फिर चीन से 16 अगस्त से 22 अगस्त की नई तारीख के लिए आवेदन किया था.

पढ़ें: हंबनटोटा द्वीप पर चीनी पोत के प्रवेश से उपजी चुनौतियों से निपटने में सक्षम भारत: सोनोवाल

श्रीलंका के फैसले के बाद चीन ने कहा था कि चीन और श्रीलंका के बीच सहयोग को दोनों देशों ने स्वतंत्र रूप से चुना है और साझा हितों को पूरा करता है और किसी तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करता है. बीजिंग ने यह भी कहा था कि सुरक्षा चिंताओं के मुद्दे का हवाला देते हुए श्रीलंका पर दबाव बनाना बेमानी है. एक अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत के रूप में नामित, युआन वांग 5 को 2007 में बनाया गया था और इसकी क्षमता 11,000 टन है. भारत ने श्रीलंकाई बंदरगाह पर पोत के डॉकिंग पर अपनी सुरक्षा चिंता व्यक्त की थी.

यह पोत समुद्र तल की मैपिंग की क्षमता वाला एक शोध पोत है. जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है. जहाज हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में उपग्रह अनुसंधान कर सकता है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं पैदा हो सकती हैं. कोलंबो से लगभग 250 किमी दूर स्थित हंबनटोटा बंदरगाह उच्च ब्याज चीनी ऋण के साथ बनाया गया था. श्रीलंकाई सरकार ने चीन से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए संघर्ष किया जिसके बाद बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर चीनियों को सौंप दिया गया.

Last Updated : Aug 16, 2022, 9:46 PM IST

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