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चीन के साथ संबंध तभी सामान्य होंगे जब सीमाओं पर फौजों की तैनाती कम हो: भारत

भारत ने शुक्रवार को चीन से स्पष्ट रूप से कहा कि पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बाकी प्वाइंट्स से पीछे हटने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति असामान्य होगी तब द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते. दरअसल, बिना किसी पूर्व आधिकारिक घोषणा के चीनी विदेश मंत्री की अचानक भारत यात्रा पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला है.

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Published : Mar 26, 2022, 7:39 PM IST

नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ लगभग तीन घंटे खुले एवं स्पष्ट रूप से बातचीत के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सामान्य संबंधों की बहाली के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है. पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा भारत की यात्रा, अमेरिका या नाटो के खिलाफ रूस-भारत-चीन की धुरी बनाने के प्रयास के साथ भारत को लुभाने की रही है.

जयशंकर ने भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ चर्चा के बाद संवाददाताओं से कहा कि अगर दोनों पक्ष संबंधों को बेहतर बनाने को प्रतिबद्ध हैं तब इस प्रतिबद्धता की पूरी अभिव्यक्ति पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में जारी बातचीत में परिलक्षित होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच वर्तमान स्थिति के संबंध में कार्य प्रगति पर है, हालांकि इसकी गति वांछित स्तर की तुलना में धीमी है.

स्थिति सामान्य नहीं:विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए जाने के मद्देनजर भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं. सामान्य संबंधों को बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाये जाने की जरुरत है. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने वार्ता में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए भारत के सैद्धांतिक दृष्टिकोण को रखा जो अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है.

चीन को दिया संदेश:चीन को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि विवादों को बिना बल प्रयोग या धमकी के हल किया जाना चाहिए और न ही एकतरफा यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया जाना चाहिए. वांग काबुल से बृहस्पतिवार को अघोषित यात्रा पर दिल्ली पहुंचे. यह पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद पिछले करीब दो वर्षो में किसी चीनी नेता की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है. वांग और जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर वरिष्ठ सैन्य कमांडर के स्तर पर 15 दौर की वार्ता हो चुकी है और इसमें पीछे हटने के संबंध में संघर्ष के कई क्षेत्रों को लेकर प्रगति दर्ज की गई है.

चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में वांग ने चीन और भारत को सीमा मुद्दे पर अपने मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में यथोचित स्थान पर रखने का सुझाव देते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंध सही दिशा में बने रहने चाहिए. सीमा गतिरोध के अलावा यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान की स्थिति, पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद, द्विपक्षीय व्यापार और भारतीय छात्रों की चीन में अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने सहित कई मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई.

NSA डोभाल की दो टूक:राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकर अजित डोभाल ने वांग के साथ अलग बैठक में पूर्वी लद्दाख में बाकी बचे सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को जल्द से जल्द और पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर दिया. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि डोभाल ने द्विपक्षीय संबंधों को स्वाभाविक रूप से बरकरार रखने में आने वाली बाधाओं को दूर करने का भी आह्वान किया. चीनी पक्ष ने डोभाल को सीमा वार्ता के विशेष प्रतिनिधि (एसआर) के रूप में चीन आने के लिए आमंत्रित किया और एनएसए ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह तत्काल मुद्दों को सफलतापूर्वक हल करने के बाद यात्रा कर सकते हैं.

सीमाओं पर शांति जरुरी:विदेश मंत्री जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध का पर कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है. स्पष्ट रूप से सीमा क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं है तथा वहां शांति एवं स्थिरता प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि सामान्य संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाये जाने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टता से बातचीत हुई.

स्पष्ट बातचीत हुई:एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने स्थापित नियमों एवं समझौतों के विपरीत सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी का उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा कि अगर आप पूछेंगे कि स्थिति सामान्य है, तब मेरा जवाब होगा कि नहीं, यह सामान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक इतने बड़े पैमाने पर सीमा पर तैनाती रहेगी, सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होगी. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री वांग ने सामान्य स्थिति (संबंधों में) बहाली की चीन की इच्छा जाहिर की और हमारे संबंधों के व्यापक महत्व का उल्लेख किया. मैंने भी कहा कि भारत स्थिर और अपेक्षित संबंध चाहता है लेकिन सामान्य स्थिति की बहाली के लिये स्वभाविक तौर पर शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है.

तीन सूत्रीय एजेंडा:जयशंकर ने कहा कि सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सकारात्मक परिणाम सामने आया है लेकिन क्षेत्र में स्थिति सामान्य नहीं है. कहा कि अभी भी हमारे संघर्ष के क्षेत्र हैं, हमने कुछ ऐसे ही क्षेत्रों में समाधान निकालने में प्रगति की है और आज हमारी बातचीत इसे आगे ले जाने को लेकर हुई. वांग ने शुक्रवार को विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बातचीत की. वांग ने द्विपक्षीय संबंधों बढ़ावा देने के लिए तीन सूत्री दृष्टिकोण का प्रस्ताव रखा.

चीन का रूख क्या है:सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों को दीर्घकालिक दृष्टि से देखना चाहिए. दूसरा, उन्हें एक-दूसरे की उन्नति को सकारात्मक मानसिकता के साथ देखना चाहिए. तीसरा, दोनों देशों को सहयोग के रवैये के साथ बहुपक्षीय प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए. उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी ताकि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से जुड़े लंबित मामलों का समाधान निकाला जा सके. हालांकि इस बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई थी.

भारत अपने रूख पर कायम: विशेषज्ञ

पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा भारत की यात्रा, अमेरिका या नाटो के खिलाफ रूस-भारत-चीन की धुरी बनाने के प्रयास के साथ भारत को लुभाने की रही है. उन्होंने कहा कि अगर विश्व स्तर पर नहीं तो कम से कम एशिया में भारत का कद अच्छा है और चीन इसे अच्छी तरह जानता है. चीनी विदेश मंत्री का भारत दौरा केवल इस बात का संकेत देता है कि चीन भारत को शांत करने की झूठी कहानी में फंसाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत ने साफ इनकार कर दिया है. भारत एक ही रुख पर कायम है कि चीन के साथ अन्य क्षेत्रों में संबंध तभी विकसित होंगे जब देश की आक्रामकता और सीमा नीतियों में संशोधन किया जाएगा.

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