हैदराबाद :भूटान के साथ लगी चीन की विवादित सीमा पर संरचनाओं का विकास (China Bhutan border construction) हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन दो मंजिला इमारतों सहित 200 से अधिक संरचनाओं और बस्तियों का तेज गति से निर्माण कर रहा है. इस संबंध में अमेरिकी डेटा एनालिटिक्स फर्म हॉकआई 360 (data analytics firm HawkEye 360) ने सैटेलाइट इमेज जारी की है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भूटान सीमा पर चीनी निर्माण संबंधी तस्वीरों का कई जानकारों ने विश्लेषण किया है. खबरों के अनुसार सैटेलाइट तस्वीरें जारी करने वाली संस्था हॉकआई 360, जमीनी स्तर की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है. हॉकआई 360 ने उपग्रहों की मदद से भूटान सीमा पर चीनी निर्माण की जो तस्वीरें जारी की हैं, दो अन्य विशेषज्ञों ने इनकी जांच की है. इन तस्वीरों के मुताबिक भूटान के साथ लगी सीमा पर चीन ने हाल के दिनों में निर्माण कार्य तेज किया है.
हॉकआई 360 (HawkEye 360) में मिशन एप्लिकेशन निदेशक क्रिस बिगर्स (Chris Biggers china construction on bhutan border) ने बताया है कि भूटान की पश्चिमी सीमा पर चीन काफी समय से निर्माण कर रहा है. साल 2020 से ही चीन संरचनाओं का विकास कर रहा है. सेटेलाइट इमेजरी फर्म कैपेला स्पेस और प्लैनेट लैब्स (Capella Space and Planet Labs) ने चीनी गतिविधियों के बारे में कुछ तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि चीन ने इलाके में साफ-सफाई करने के बाद रास्ते का निर्माण किया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिगर्स ने कहा, सेटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि 2021 में भूटान सीमा पर चीन के संरचना निर्माण के काम (Bhutan border Chinese construction) में तेजी आई है. उन्होंने कहा कि संभवत: घरेलू उपकरण और आपूर्ति के लिए छोटे ढांचे बनाए गए. उन्होंने कहा कि छोटी संरचनाओं के विकास के बाद नींव रखी गई और फिर इमारतों का भी निर्माण किया गया.
बैठक पर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जन. जीडी बख्शी की राय
चीन भूटान सीमा पर संरचना विकास को लेकर ईटीवी भारत ने रक्षा मामलों के जानकार मेजर जनरल जीडी बख्शी से बात की. बख्शी ने कहा कि चीन भारत को भड़काने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि भूटान सीमा के पास गांवों को बसाने की कोशिश सलामी-स्लाइसिंग (salami-slicing) है.
चीन की सलामी-स्लाइसिंग (china salami slicing) के रवैये पर भारत की प्रतिक्रिया के संबंध में जीडी बख्शी ने कहा, भारत ने कैलाश रेंज में चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया और रणनीतिक स्थलों पर कब्जा कर लिया. उन्होंने कहा, हम अब भी ऐसा कर सकते हैं.
भूटान बॉर्डर पर चीन की कुटिल चाल को लेकर उन्होंने कहा कि भारत के आक्रामक रुख को देखते हुए चीन ने नया तरीका अपनाया है. उन्होंने कहा कि चीन सीमावर्ती गांव विकसित कर रहा है. यह उसकी एक चाल है, जो उनके लिए पूर्व चेतावनी केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं.
जीडी बख्शी ने कहा, चीन अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए जिस तरह से अपने तटरक्षकों, मछली पकड़ने के बेड़े, निजी मछली पकड़ने के बेड़े का उपयोग कर रहा है, इससे साफ है कि वह इन क्षेत्रों पर दावा ठोक रहा है. उन्होंने कहा कि चीन अब हमारी सीमा पर, अरुणाचल सीमा पर गांवों को बसाने की ताक में है. उन्होंने कहा कि चीन की इस पहल के पीछे कारण यह है कि उनके पास नियमित पैदल सेना की कमी (Chinese are short of regular infantry) है. उन्हें बॉर्डर पर गश्ती करने में परेशानी होती है.
भूटान की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने के सवाल पर जीडी बख्शी ने कहा, भूटान की अपनी मजबूरियां हैं. वे चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, भारत ने भूटान को आश्वासन दिया है कि हम उनका समर्थन करेंगे. भूटान को भारत का साथ मिले इस संबंध में एक संधि की बाध्यता भी है.
क्या भूटान सीमा पर चीन की गतिविधि सुदूर डोकलाम पठार को नियंत्रित (china Doklam plateau strategy) करने की एक रणनीति है ? यह पूछे जाने पर जीडी बख्शी ने कहा, डोकलाम में भारत ने चीन का बहुत कड़ा विरोध किया था. चीन रिग लाइन से 200-300 मीटर पीछे हटने पर मजबूर हुआ था. बता दें कि कई रक्षा मामलों के जानकार यह कह चुके हैं कि डोकलाम में चीन की गतिविधियों का एक मकसद निकटवर्ती 'चिकन नेक' क्षेत्र (Chicken's Neck area) तक अधिकतम पहुंच हासिल करना था. ऐसा इसलिए क्योंकि डोकलाम 'चिकन नेक' वाले क्षेत्र से काफी करीब है. 'चिकन नेक' भारत को उसके पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम भूभाग है.