हांगकांग :चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नए साल में ट्रेनिंग शुरू हो गई है. 4 जनवरी 2022 को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इससे जुड़े आदेश पर हस्ताक्षर किए थे. इस बारे में सेना के मुखपत्र पीएलए डेली ने भी जानकारी दी है. पीएलए डेली के मुताबिक, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष शी जिनपिंग ने नए वर्ष में मिलिट्री से जुड़े पहले आदेश पर सिग्नेचर किए. इस बाद आदेश की कॉपी पिछले साल के मुकाबले छोटी है. राष्ट्रपति के आदेश में इस बार कुल 206 कैरेक्टर ही थे, जबकि पिछली बार 636 कैरेक्टर का लंबा नोट लिखा था.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत सेंट्रल थिएटर कमांड के 81वें एविएशन ब्रिगेड के एरिया में शुरू हई. इसमें शी जिनपिंग शामिल हुए या नहीं, इस बारे में चीनी मीडिया ने कुछ नहीं बताया है. मीडिया को जारी फुटेज में दिखाया गया है कि एविएशन ब्रिगेड के बेस पर चीनी सैनिकों और एविएटर्स कॉमबैट यूनिफॉर्म में हथियारों से लैस हैं. बताया जाता है कि इस मौके पर 30 से अधिक विमानों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया.
बता दें कि पिछली चार जनवरी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) ने युद्ध लड़ने और जीतने के लिए चीनी सेना में विशिष्ट बल विकसित का आदेश दिया था. शी ने अपने आदेश में कहा था कि सशस्त्र बलों को प्रौद्योगिकी, युद्ध और प्रतिद्वंद्वियों के विकास का बारीकी से पालन करना चाहिए. लड़ाकू अभियानों के साथ प्रशिक्षण को बेहतर ढंग से संयोजित करने के अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए. साथ ही एक विशिष्ट बल विकसित करने के लिए व्यवस्थित ट्रेनिंग और टेक्नॉलजी के उपयोग को मजबूत करना चाहिए, जो युद्ध लड़ने और युद्ध जीतने में सक्षम हो. चीनी सेना ने इसी आदेश के मद्देनजर ट्रेनिंग शुरू की है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सिक्युरिटी स्टडीज के निदेशक एम. टेलर फ्रावेल ने जी शिनपिंग के आदेश के बारे में कई दिलचस्प बिंदुओं को उजागर किया है. आदेश में चीनी राष्ट्रपति ने कहा, "मैं आज्ञा देता हूं...". इससे पहले उन्होंने 'मैं (I)' का यूज 2018 में किया था. अब वह पर्सनैलिटी कल्ट के तौर पर उभरे हैं और इसका असर उनके आदेशों में दिखता है. एम. टेलर फ्रावेल का कहना है कि इससे लगता है कि चीन के शीर्ष नेता बनने के बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलिट्री और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से अटूट निष्ठा की जरूरत है. उन्होंने आशंका जताई है कि इस तरह की ट्रेनिंग के जरिये ताइवान और दक्षिण चीन सागर के दावेदारों को डराने के लिए चीन की सेना अपनी ताकत का आक्रामक प्रदर्शन कर रही है.
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