नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. आतंकवाद का मुद्दा हो या फिर कुछ और विश्व के किसी भी मंच पर जब पाकिस्तान घिर जाता है तो चीन उसकी पैरवी के लिए उतर आता है. यहां तक कि चीन पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में भी दखल देता रहा है. कई बार विश्व मंच पर भारत से घिरने के बाद पाकिस्तान की मदद को चीन आगे आ चुका है, लेकिन हाल में दो ऐसे मामले सामने आए हैं जब चीन ने पाकिस्तान को भारत से सीखने के लिए कहा है.
पाकिस्तान के गहरे दोस्त चीन ने उसको भारत से सीखने की नसीहत दी है. पहला वाकया चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की वर्षगांठ का है, जबकि दूसरा मामला चीन के ग्लोबल टाइम्स में दिए गए एक साक्षात्कार का है जब ड्रैगन ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत से सीखे कि कैसे आगे बढ़ना है.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामाबाद नीति अनुसंधान संस्थान ने जुलाई में सेमिनार का आयोजन किया था. इस दौरान चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस (CICIR) में साउथ एशियन स्टडीज के डायरेक्टर हू शिशेंग ने जो टिप्पणी की वह चर्चा में है. सीआईसीआईआर, चीन में सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति और सुरक्षा मामलों के थिंक-टैंकों में से एक है.
एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हू शिशेंग ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को भारत से सीखना चाहिए. उन्होंने कहा कि वहां (भारत) का विकास मुख्य रूप से गुजरात के मॉडल पर आधारित है. चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा है. उन्होंने सलाह दी कि 'पाकिस्तानी अच्छी स्थिति वाले लोगों का नेतृत्व करें, खराब स्थिति वाले लोगों की मदद करें.'
उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीय या केंद्र सरकार के स्तर पर सुधारों को बढ़ावा देना मुश्किल है तो प्रत्येक प्रांत अपने स्तर पर बाजार सुधारों को बढ़ावा दे सकता है ताकि संस्थागत स्तर पर सुधारों की एक राष्ट्रीय संस्कृति को संचित किया जा सके. यदि यह अभी भी बहुत मुश्किल है, तो एसईजेड पर ध्यान केंद्रित करें जैसे चीन ने शुरुआती चरण में किया था, ग्वादर पर ध्यान केंद्रित करें.