नई दिल्ली : चीन ने 2021 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत का समर्थन किया है और पांच ब्रिक्स देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली के साथ काम करने में रुचि दिखाई है. यह कदम ऐसे समय में आया है, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए विस्थापन के बीच दो एशियाई सैन्य दिग्गजों के बीच शांति का संकेत देखा गया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व-राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि हर समय टकराव का रिश्ता नहीं हो सकता है. इस मायने में भारत में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी और शी जिनपिंग की भागीदारी कुछ ऐसी है, जिसका स्वागत करने की आवश्यकता है. यह कहते हुए कि यह 'हमेशा की तरह व्यवसाय' नहीं हो सकता है. हम अप्रैल 2020 की स्थिति पर वापस नहीं लौट सकते, क्योंकि चीन ने जून 2020 में गलवान में जो किया है, उसने दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित सभी समझौतों को तोड़ दिया है. जिसका अर्थ है कि चीन के साथ विश्वास की कमी बहुत बड़ी है. इसलिए भारत को अपने द्विपक्षीय संबंधों के नए प्रतिमान पर आना होगा, क्योंकि पहले किए गए सभी पांच समझौतों को चीन ने डस्टबिन में फेंक दिया था.
चीन को नहीं दुनिया की परवाह
उन्होंने कहा कि चीन कहता रहा है कि सीमा के मुद्दे को भारत के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों से अलग रखा जा सकता है, जो संभव नहीं है. उनका कहना है कि चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बारे में परेशान नहीं है, उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की परवाह नहीं है. अगर चीन इसकी परवाह करता है, तो वह इस तरह से व्यवहार नहीं करेगा, जैसा कि वह हांगकांग, ताइवान, दक्षिण चीन सागर या पूर्वी चीन सागर के साथ कर रहा है. चीन केवल देश की सत्ता की परवाह करता है और चाहता है कि उसके पड़ोसियों को इसका सम्मान करना चाहिए और उससे डरना चाहिए.
सीमा मुद्दे को अलग रखने की कोशिश
अशोक सज्जनहार ने कहा कि दुनिया को लगता है कि चीन भारत के साथ व्यापार करना चाहता है, लेकिन गलवान घाटी को अलग रखना चाहता है. हालांकि यह भारत को स्वीकार्य नहीं है. हालांकि भारत ने कहा था कि निवेश के कुछ प्रस्तावों को नए सिरे से देखा जाएगा और परियोजनाओं के आधार पर मंजूरी देगा.
सज्जनहार ने दोहराया कि चीन द्वारा भारत के लिए एक संदेश है कि वह व्यापार संबंधों को मजबूत करने और सीमा मुद्दे को अलग रखते हुए आगे बढ़े. वह आगे रेखांकित करते हैं कि ब्रिक्स चीन के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि ब्रिक्स बैंक में चीन की भागीदारी नियंत्रित है. इसलिए मुझे लगता है कि अगर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की बैठक होती है तो यह चीन के लिए फायदेमंद होगा. चीन देख रहा है कि इसके लिए यह फायदेमंद है इसलिए चीन बढ़ावा दे रहा है और समर्थन कर रहा है.