नई दिल्ली : भारत समेत चार देशों के संगठन 'क्वाड' ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये एक बड़ी नई पहल शुरू की, जो साझेदार देशों को क्षेत्रीय जलक्षेत्रों की पूरी तरह से निगरानी करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगी. जिसमें महत्वाकांक्षी IPMDA (समुद्री डोमेन जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप) और IPEF (समृद्धि के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क) शामिल है. क्वॉड (QUAD) की बढ़ती ताकत देखकर चीन बेचैन हो गया है. क्वाड के इस कदम के बाद अब चीन ने दस छोटे प्रशांत देश से सुरक्षा से लेकर मत्स्य पालन तक, सभी क्षेत्रों पर कब्जा पाने के लिए समझौते का समर्थन करने का आग्रह किया है. वहीं, चीन के इस चाल को देखकर अमेरिका सतर्क हो गया है. अमेरिका ने सबको आगाह किया है कि चीन बड़ी चालाकी से इस क्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए यह कवायद कर रहा है.
चीन चाहता है कि 10 छोटे प्रशांत देश सुरक्षा से लेकर मत्स्य पालन तक के क्षेत्र में एक व्यापक समझौते का समर्थन करें, जबकि अमेरिका ने आगाह किया कि यह क्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए बीजिंग की 'बड़ी और महत्वपूर्ण' कवायद है. बताया जा रहा है कि चीन प्रशांत देशों के पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करना चाहता है, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा पर उनसे जुड़ना चाहता है और कानून प्रवर्तन पर सहयोग बढ़ाना चाहता है.
चीन मत्स्य पालन के लिए एक समुद्री योजना भी संयुक्त रूप से बनाना चाहता है, जिसमें प्रशांत क्षेत्र की पसंदीदा टूना मछली पकड़ना भी शामिल है. वह क्षेत्र के इंटरनेट नेटवर्क को चलाने पर सहयोग बढ़ाना चाहता है और सांस्कृतिक कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट्स तथा कक्षाएं स्थापित करना चाहता है. चीन ने मुक्त व्यापार क्षेत्र और प्रशांत देश बनाने की संभावना का भी जिक्र किया है. चीन ने यह कदम तब उठाया है जब विदेश मंत्री वांग यी और 20 मजबूत नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इस सप्ताह क्षेत्र की यात्रा शुरू की.
वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने चीन के इरादों को लेकर बुधवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बीजिंग प्रस्तावित समझौतों का इस्तेमाल द्वीपों का लाभ उठाने और क्षेत्र को अस्थिर करने में कर सकता है. उन्होंने कहा, 'हमें चिंता है कि ये समझौते जल्दबाजी में और गैर-पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किए जा सकते हैं.' उन्होंने आगाह किया कि चीन की अस्पष्ट, संदिग्ध समझौतों की पेशकश करने की प्रवृत्ति है, जिसमें मत्स्य पालन, संसाधन प्रबंधन, विकास, विकास सहायता और हाल में सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों में बहुत कम पारदर्शिता या क्षेत्रीय परामर्श होता है.
नेड प्राइस ने कहा कि इन देशों में चीनी सुरक्षा अधिकारियों को भेजने वाले समझौतों से अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ सकता है और प्रशांत क्षेत्र में अपने आंतरिक सुरक्षा तंत्र के बीजिंग के विस्तार को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं. वांग सोलोमन आइलैंड्स, किरीबाती, सामोआ, फिजी, टोंगा, वनातु और पापुआ न्यू गिनी की यात्रा कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि ये देश साझा विकास दूरदृष्टि का समर्थन करेंगे.