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दलाई लामा से अमेरिकी विशेष समन्वयक की मुलाकात से चीन नाखुश - China Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian

धर्मशाला में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) के साथ अमेरिका की विशेष समन्वयक उजरा जेया (US Special Coordinator Uzra Zeya) की मुलाकात की चीन ने आलोचना की है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्रवक्ता झाओ लिजियन (China Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने तिब्बत को चीन का हिस्सा बताते हुए इसे तिब्बती धार्मिक मामले को अपने देश का आंतरिक मामला बताया. पढ़िए ईटीवी भारत के संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट...

Ujra Zeya meeting with the Dalai Lama
दलाई लामा से उजरा जेया की मुलाकात

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Published : May 19, 2022, 8:55 PM IST

नई दिल्ली : चीन ने गुरुवार को तिब्बती मुद्दों के लिए अमेरिका की विशेष समन्वयक उजरा ज़ेया (US Special Coordinator Uzra Zeya) की दलाई लामा (Dalai Lama) के साथ बैठक और धर्मशाला की उनकी यात्रा की तीखी आलोचना की है. चीन ने कहा कि यह वाशिंगटन की उस प्रतिबद्धता का उल्लंघन है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है और वह तिब्बती अलगाववादियों का समर्थन नहीं करता है. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में जेया ने बृहस्पतिवार को दलाई लामा से मुलाकात की और अमेरिका तथा भारत में स्वतंत्रता व लोकतंत्र की समृद्ध परंपरा पर चर्चा की.

जेया दो दिवसीय धर्मशाला दौरे पर हैं जहां दलाईलामा रहते हैं और यहीं से तिब्बत की निर्वासित सरकार का संचालन होता है. धर्मशाला के दो दिवसीय दौरे पर जेया ने निर्वासन में तिब्बती संसद और दलाई लामा से मुलाकात की और प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की. चीनी विदेश मंत्रालय ने जेया की यात्रा की आलोचना करते हुए इसे चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (China Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने 86 वर्षीय शीर्ष तिब्बती बौद्ध नेता के साथ भारतीय मूल की वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'तिब्बत चीन का हिस्सा है और तिब्बती धार्मिक मामला चीन का आंतरिक मामला है.'

उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा तिब्बती मुद्दों के लिए एक विशेष समन्वयक की नियुक्ति चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है. उन्होंने कहा कि चीन इस पर दृढ़ता से आपत्ति जताता है और इसे कभी मान्यता नहीं दी है. झाओ ने कहा, 'अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धता का ईमानदारी से पालन करना चाहिए कि तिब्बत चीन का हिस्सा है और वह तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है.'

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उन्होंने कहा, 'उसे चीन विरोधी दलाई गुट द्वारा अलगाववादी गतिविधियों के लिए कोई समर्थन नहीं देना चाहिए. चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए मजबूती से उपाय करना जारी रखेगा.' झाओ ने कहा, 'मैं यह कहना चाहूंगा कि तथाकथित तिब्बत की निर्वासित सरकार एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है. यह चीन के संविधान और कानून का गंभीर उल्लंघन है. यह अवैध है और इसे दुनिया के किसी देश से मान्यता प्राप्त नहीं है.' बता दें कि पिछले साल दिसंबर में नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने सांसदों द्वारा भारतीय सांसदों को एक पत्र भेजा था कि वे बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह और एक अवैध संगठन के साथ शामिल न हों.

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