नई दिल्ली :अमेरिका और चीन के बीच संबंधों के उतार-चढ़ाव को लेकर एक और क्षेत्र मिल गया है. वह है मानवाधिकार का. गुरुवार को चीन के स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस ने 'मॉडरेट प्रॉस्पेरिटी इन ऑल रेस्पेक्ट: अदर माइलस्टोन अचीव्ड इन चाइनीज ह्यूमन राइट्स' शीर्षक से एक श्वेत पत्र जारी किया.
इस दस्तावेज़ में चीन ने सामाजिक-आर्थिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हासिल की गई अपनी सफलताओं के बारे में बताने के साथ ही मानव अधिकारों को सामाजिक-आर्थिक मापदंडों के साथ जोड़कर इसे मार्क्सवादी चरित्र देकर उपयुक्त बनाने का प्रयास किया गया है.
चीन में एक प्राचीन शब्द है 'ज़ियाओकांग' (Xiaokang) जिसके आधार पर श्वेत-पत्र में मध्यम समृद्धि की स्थिति का जिक्र किया गया है. जिसमें लोग न तो अमीर हैं और न ही गरीब हैं, लेकिन अभाव और परिश्रम से मुक्त हैं. श्वेत पत्र में कहा गया है कि 'चौतरफा उदारवादी समृद्धि की प्राप्ति सभी प्रकार से मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक नए युग की शुरूआत करती है.' साथ ही इसमें कहा गया है कि 'चौतरफा उदारवादी समृद्धि का मार्ग चीन में मानवाधिकारों में व्यापक प्रगति के साथ मेल खाता है, जिसमें व्यक्ति को मुक्त करने, उसकी रक्षा करने और विकसित करने के लिए आवश्यक सभी कदम शामिल हैं.'
कुल मिलाकर चीन ने कहा है कि देश में व्यापक तौर पर खुशहाल समाज का निर्माण पूरा होने से मानवाधिकारों की नींव मजबूत हुई, मानवाधिकारों के अर्थ को समृद्ध किया गया और मानवाधिकारों के दृष्टिकोण को व्यापक बनाया गया है.
अमेरिका-भारत पर निशाना
चीनी सरकार के दस्तावेज़ को दो अर्थव्यवस्थाओं को अलग करने के प्रयासों के बजाय चीन को लक्षित करने के लिए मानव अधिकारों पर जो बाइडेन सरकार के सिंगल माइंडेड फोकस की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए. ट्रंप प्रशासन (Trump administration) के दौरान अमेरिकी सीनेट ने 21 दिसंबर, 2020 को 'तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम ’(TPSA) नामक एक विधेयक पारित किया था, जिसमें तिब्बत मुद्दे को दृढ़ समर्थन दिया गया था.
चीन पर विशेष रूप से तिब्बत और शिनजियांग में मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन का आरोप लगाने के अलावा अमेरिका और भारत का यह भी मानना है कि तिब्बत बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की उत्तराधिकार प्रक्रिया में चीनी सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. 2011 में चीन ने अगले दलाई लामा को मंजूरी देने और नियुक्त करने के अधिकार का दावा किया है. उसका कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी ल्हासा में चुना जाएगा.
हाल में अमेरिका ने भी तिब्बत मुद्दे पर जोर देना तेज कर दिया था जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 28 जुलाई को अपनी भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में दलाई लामा के ब्यूरो के निदेशक कसूर न्गोडुप डोंगचुंग (Kasur Ngodup Dongchung) से मुलाकात की थी. इसके बाद धार्मिक नेताओं के साथ एक बैठक हुई जिसमें दिल्ली में तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल (Geshe Dorji Damdul) शामिल थे.