नई दिल्ली: भले ही दुनिया रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) के घटनाक्रम नजर गड़ाए हो. चीन खनिज-समृद्ध अफगानिस्तान के खादानों (Mineral Rich Afghanistan’s Extraction Sector) में प्रवेश करने की गहन कोशिश कर रहा है. कम से कम 25 चीनी खनन फर्मों ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से खनिजों की निकासी के लिए काबुल, नंगरहार और लगमन प्रांतों में सत्तारूढ़ तालिबान शासन के अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं. SIGAR (अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए विशेष महानिरीक्षक) (Special Inspector General for Afghanistan Reconstruction) के एक हालिया ट्वीट में कहा गया है कि चीनी खनन कंपनियां अफगानिस्तान के लिथियम और तांबे के भंडार तक पहुंचने के अवसरों की तलाश कर रही हैं. चीनी खनन उद्योग के प्रतिनिधियों ने खनन अधिकारों और ऐसे खनिजों तक अनुसंधान पर चर्चा करने के लिए तालिबान के अधिकारियों से मुलाकात की.
SIGAR अफगानिस्तान पुनर्निर्माण प्रक्रिया पर अमेरिकी सरकार का प्रमुख निरीक्षण प्राधिकरण है. राज्य के स्वामित्व वाले मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पांच चीनी कंपनियों ने पहले ही अफगानिस्तान में प्रतिनिधियों और अधिकारियों को तैनात कर दिया है. 20 से अधिक अन्य चीनी सरकारी और निजी कंपनियों ने लिथियम के खनन में रुचि व्यक्त की है. दशकों से लगातार हो रही लड़ाई से कुचले हुए, अफगानिस्तान को धन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. तालिबान खनन सहित विभिन्न क्षेत्रों से धन जुटाने के तरीके और साधन पर विचार कर रहा है. एक अनुभवी राजनयिक मौलवी शहाबुद्दीन डेलावर को अफगानिस्तान के खनन क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के प्रयास का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है.