नई दिल्ली :चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के ठीक उत्तर में तिब्बती क्षेत्र से खनन किए गए 59 रॉक सैंपल का अध्ययन किया है. इस अध्ययन से इस क्षेत्र में अत्यंत दुर्लभ लिथियम बड़ी मात्रा होने का पता चला है. कम से कम 44 सैंपल में इसकी बहुत अधिक मात्रा पाई गई है.
दरअसल लैपटॉप और सेल फोन की बैटरी के साथ-साथ कांच और सिरेमिक उद्योग में इसके उपयोग के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी बनाने में लिथियम उपयोग किया जाता है. लिथियम की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया ईवी क्रांति के कगार पर है.
अध्ययन ने कहा गया है कि हिमालय में इस दुर्लभ खनिज का बड़ा भंडार मिल सकता है. भले ही इस खोज ने नए वैश्विक ऊर्जा उद्योग के लिए संसाधन का दोहन करने की चीन की कोशिश को बल मिला है, लेकिन पारिस्थितिक रूप से नाजुक माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन के गंभीर प्रभाव भुगतने पड़ेंगे.
चीनी विज्ञान अकादमी के हाल के अध्ययन में ये भी सामने आया है कि माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन हुआ है. 1961 से 2018 तक मौसम संबंधी जानकारी में सामने आया है कि 1960 के दशक में यहां के तापमान में परिवर्तन हुआ है. इसके साथ ही क्षेत्र में वर्तमान ग्लेशियर क्षेत्र लगभग 3,266 तक सिकुड़ गए हैं. इसी तरह 1970 से 2010 तक दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के वायु प्रदूषकों का भी असर यहां की जलवायु पर पड़ा है. लंबी दूरी के परिवहन ने प्रदूषकों (जैसे ब्लैक कार्बन) की सांद्रता को बढ़ाकर इस क्षेत्र को प्रभावित किया है.
नवंबर 2021 में सामने आई थी जानकारी
चीन लिथियम की खोज कर रहा है इसके बारे में सबसे पहले जानकारी नवंबर 2021 में सीएएस समर्थित पत्रिका 'रॉक' में प्रकाशित लेख में सामने आई थी. हाल ही चीन के भूविज्ञान और भूभौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिपोर्ट तैयार की है. किसी भी लिथियम ऑक्साइड सामग्री को 0.8 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक मूल्य का माना जाता है. लेकिन उक्त अध्ययन में लिथियम सामग्री कुछ नमूनों के साथ 3.3 प्रतिशत तक पहुंचने के साथ बहुत अधिक पाई गई. इन नमूनों में बेरिलियम और टैंटलम जैसी अन्य दुर्लभ चीजों के अलावा औसत लिथियम ऑक्साइड सामग्री 1.30 प्रतिशत थी.