जबलपुर।शहर का ग्वारीघाट नर्मदा आरती के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां इससे भी बड़ी एक दूसरी घटना रोज घटती है. इसे पराग दीवान की क्लास के नाम से जाना जाता है. यहां नाव चलाने वाले नविकों, घाट पर दुकान लगाने वाली महिलाएं और भिख मांगकर अपना जीवन यापन करने वाले लोगों के बच्चों के लिए पराग दीवान ने एक क्लास शुरू की थी. यह लगभग 7 साल पुरानी घटना है, जब पराग दीवान नर्मदा दर्शन के लिए आते थे और उन्हें यहां बिगड़े बच्चे नजर आते थे. इनमें अधिकतर बच्चे कम उम्र में नशे का शिकार हो चुके थे. पराग दीवान ने इन्हें पढ़ना और सुधारने का फैसला लिया. शिक्षा के इस दीवाने ने शादी नहीं की है और वह जो भी कमाते हैं, वह इन्हीं बच्चों पर खर्च कर देते हैं.
गरीबों के बच्चों का संवार रहे भविष्य:दरअसल,ग्वारीघाट में पुरानी बसाहट हैऔर यहां पर नाविकों के परिवार के भरण पोषण के लिए पति-पत्नी दोनों को कम करना पड़ता है. इसलिए, सामान्य तौर पर पति नाव चलाते हैं. मछली पकड़ते हैं और पटिया घाट पर पूजन सामग्री की दुकान चलती हैं. ऐसे सैकड़ो परिवार घाटों पर रहते हैं. ग्वारीघाट पर भी ऐसे ही सैकड़ों परिवार हैं, लेकिन जब पति और पत्नी दोनों ही काम करते हैं.
ऐसी स्थिति में बच्चों की परवरिश पर पूरा ध्यान नहीं हो पता और बच्चे नशे का शिकार हो जाते हैं. पढ़ाई से दूर हो जाते, इन लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इसलिए ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर सभी को पता है.
क्लास की शुरुआती कठिनाई: पराग दीवान ने इन बच्चों के लिए एक क्लास शुरू की. क्लास ग्वारीघाट की सीढ़िया पर ही लगना शुरू किया. शुरुआत में बच्चे यहां नहीं आते थे, तो पराग दीवान बताते हैं कि उन्होंने बच्चों को रोज ₹20 दिन केवल क्लास में बैठने का दिया, ताकि बच्चे यहां बैठकर शिक्षा लें और पैसे के लालच में भी यहां बैठे रहे. पराग दीवान की कोशिश रंग लाई और शुरुआती कुछ बच्चों के बाद स्थानीय लोगों ने अपने बच्चों के यहां भेजना शुरू किया. आज इस क्लास में 350 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं.
शिक्षा के बुनियादी सिद्धांतों का ज्ञान:पराग दीवान की क्लास में सब अलग-अलग उम्र और अलग-अलग क्लासों के बच्चे आए, लेकिन उन्होंने सभी को एक सी शिक्षा दी. इसमें यह विज्ञान के मूल तत्व बच्चों को समझा रहे थे. न्यूटन के नियम बच्चों को पढ़ाया. जीव विज्ञान की मौलिक जानकारियां सभी बच्चों को उदाहरण के साथ समझाई गईं. सामान्य ज्ञान की प्रमुख बातों को पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चे को एक साथ याद करवा रहे है. गणित के मौलिक सिद्धांत बीजगणित के मौलिक सिद्धांत, इन बच्चों को ऐसे रटे हुए हैं, मानो यह गिनती बोल रहे हों.
वंशिका अहिरवार वंडर चाइल्ड:पराग दीवान का दावा था कि इनमें ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों के हैं. इसलिए हम 5 साल की वंशिका के घर पहुंचे. वंशिका केजी वन में पढ़ रही हैं . वंशिका के पिता घरों में पेंटिंग और पुट्टी का काम करते हैं और उनकी मां बंगलों पर खाना बनाने के लिए जाती हैं. ग्वारीघाट की एक पतली सी गली में इनका एक कच्चा घर है. परिवार जैसे- तैसे गुजारा करते हैं, लेकिन वंशिका इतनी होनहार कि मात्र 5 साल की उम्र में उसने हमें विज्ञान का एक जटिल सिद्धांत न्यूटन का गति का नियम समझाया.
इसी तरीके से उसने बच्चों की क्लास में ह्यूमन हार्ट के बारे में एक पूरा लेक्चर दिया. वंशिका की उम्र के हिसाब से यह ज्ञान बहुत ज्यादा है, लेकिन पराग दीवान का तर्क है कि 13 साल तक की उम्र के बच्चों का ज्ञान आइंस्टीन से भी तेज चलता है. वंशिका अहिरवार को देखकर पराग दीवान दावे को मानना हमारी मजबूरी बन गई.