कटिहारः जिले में एक बालक की जान गेम ने ले ली. दरअसल, 15 वर्षीय आठवीं क्लास में पढ़ने वाला छात्र आयुष मोबाइल पर काफी देर-देर तक गेम खेला करता था. लॉकडाउन के वक्त ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने वह गेम खेलता था. ज्यादा देर तक पबजी और फ्री फायर खेलने के कारण उसके गर्दन में दर्द होने लगता था. ज्यादा दर्द होने पर वह अपने माता-पिता को बिना बताए ही पेन किलर खा लेता था. अचानक दर्द ज्यादा हुआ तो पिता डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने कहा पेन किलर ज्यादा खाने के कारण परेशानी है. उसी वक्त बच्चे की जान चली गई.
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इकलौता बेटा था आयुष
आयुष अपने मां-बाप का इकलौता पुत्र था. घटना कोढ़ा प्रखंड के मकईपुर गांव की है. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के बाद से ही छात्र अपने-अपने घरों में ही मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करते थे. आयुष भी अपने घर में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा था. आयुष आठवीं कक्षा का छात्र था. पढ़ाई के साथ-साथ आयुष को मोबाइल में गेम खेलने की भी लत लग गई.
माता-पिता ने समझाया था काफी
माता-पिता के लाख समझाने के बाद भी आयुष ने मोबाइल में गेम खेलना नहीं छोड़ा. देर रात तक गेम खेलता था. पबजी और फ्री फायर गेम की लत उसे ऐसी लगी कि रात-रात भर और दिन भर लगातार मोबाइल पर गेम ही खेलने लगा था.
आयुष के दोस्त और परिवार के बच्चे दवा की लग गई थी आदत
आयुष को जब गेम खेलने से उसके गर्दन में दर्द होने लगा, तो वह चुपचाप बिना मां-बाप को बताए दर्द की दवा खाने लगा. दर्द की वजह से उसे दवा की आदत लग गई. इसकी जानकारी आयुष के माता-पिता को नहीं थी. एक दिन जब दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो आयुष ने अपने माता-पिता को बताया. फिर आयुष के पिता उसे लेकर डॉक्टर के पास गए.
थम गईं आयुष की सांसें
तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो मेडिकल कॉलेज लेकर गए. डॉक्टर ने एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद उसके पिता को बताया कि दर्द की दवा ज्यादा खाने से दिक्कतें आई हैं. इसका इलाज लंबा चलेगा. इसी बीच आयुष की सांसें काफी फूलने लगीं. देखते-ही-देखते अपने पिता के सामने आयुष इस दुनिया से हमेशा के लिए चला गया.
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