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राजस्थान में नए मुख्यमंत्री की घोषणा, जानिए किन कारणों से वसुंधरा का दावा कमजोर - भाजपा पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह

Bhajan Lal Sharma will be the Chief Minister of Rajasthan - भारतीय जनता पार्टी हाई कमान की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षकों ने मंगलवार को नए सीएम का ऐलान कर दिया. भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल के साथ विचार विमर्श के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की गई. इससे पहले मुख्यमंत्री की कतार में मजबूत दावेदार समझी जा रहीं वसुंधरा राजे का दावा खारिज हो गया.

Rajasthan New CM Race
वसुंधरा का दावा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2023, 10:44 AM IST

Updated : Dec 12, 2023, 5:12 PM IST

जयपुर. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर, राजस्थान के नए सीएम की घोषणा के लिए भाजपा की औपचारिकताएं आखिरकार आज पूरी हो गई. मध्यप्रदेश में डॉक्टर मोहन यादव के नाम की घोषणा के बाद राजस्थान में भी भाजपा ने नए नाम की घोषणा करके सबको चौंका दिया. छत्तीसगढ़ में आदिवासी और मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा आलकमान ने राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे पर को मौका दिया है. इन कयासों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दावा खारिज हो गया है.

जानिए क्यों कमजोर पड़ीं वसुंधरा : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी की एक बड़ी नेता हैं, जिनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर भी बीजेपी के चंद नेताओं के साथ होती है. वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान का मुख्यमंत्री रही हैं. इसके अलावा वे पांच बार सांसद रहीं हैं और पांचवीं बार विधायक चुनी गई हैं. केंद्र में मंत्री पद के साथ-साथ उन्होंने भाजपा संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक के पद का सफर तय किया है. इन सब सूरत ए हाल में भी राज्य का तीसरी बार मुख्यमंत्री पद तक पहुंचना राजनीतिक अटकलों के जरिए सवाल खड़े कर रहा है. छत्तीसगढ़ और एमपी के पैटर्न पर अगर गौर किया जाए, तो रमन सिंह और शिवराज सिंह की राजनीतिक पारी में आए मोड़ से जाहिर होता है कि राजस्थान में पार्टी नए चेहरे को आगे लेकर आएगी.

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इसके अलावा वसुंधरा राजे की उम्र भी इशारा कर रही है कि पार्टी ऐसे नेता को राजस्थान की कमान सौंपेगी, जो अगले दो दशक तक पार्टी को संभालने के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा में जीत दिलाने में मददगार साबित हो. दो राज्यों में मुख्यमंत्री की घोषणा से यह भी साफ हो जाता है कि सीएम पद तक पहुंचाने के लिए RSS की पसंद का होना जरूरी है. बीते दो दशक में प्रदेश में संघ के नेताओं से राजे के संपर्क बेहतर नहीं कहे जा सकते हैं. ऐसे में संघ का कैडर किसी नए चेहरे को तवज्जो देने की ओर इशारा करता है. जिस तरह से विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बार-बार दिल्ली से मिले इशारों के बावजूद वसुंधरा राजे के बंगले 13 सिविल लाइंस पर पार्टी मुख्यालय के अलावा एक समानांतर शक्ति केंद्र बनाने की कोशिश की गई, वह भी दिल्ली में बैठ बड़े नेताओं को मुख्यमंत्री पद के चुनाव में पार्टी से पहले चेहरे विशेष की प्रमुखता को बेहतर नहीं मान रहा है. इसके अलावा साल 2008 में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद राजस्थान में जिम्मेदार नेताओं से मांगे गए इस्तीफों की कड़ी में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की बात को बार-बार खारिज किया जाना और वसुंधरा राजे की ओर से नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया जाना भी इस बार पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह के आने से राजे के लिए नकारात्मक बिंदु बनने का इशारा करता है.

दो उपमुख्यमंत्री का हो सकता है एलान : राजस्थान में मुख्यमंत्री के साथ शपथ लेने वाले दो उपमुख्यमंत्री का दौर भी इस बार देखने को मिल सकता है. हालांकि, उपमुख्यमंत्री पद को लेकर कोई संवैधानिक मान्यता नहीं होती है, लेकिन 2018 में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाकर अपने साथ शपथ दिलवाई थी. इसके पहले भी राज्य में उपमुख्यमंत्री बने तो हैं, लेकिन तब मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रक्रिया के दौरान डिप्टी सीएम की नियुक्ति की गई थी. इस दफा संभावना है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की लीक पर चलते हुए भाजपा राजस्थान में जातिगत, क्षेत्रीय समीकरण और लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दो उपमुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा कर सकती है. राजनीतिक अटकलें के अनुसार यदि सामान्य वर्ग से मुख्यमंत्री को चुना जाता है, तो उस स्थिति में किसी पिछड़ी जाति के व्यक्ति और आदिवासी को उपमुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है. मुख्यमंत्री को महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.

भाजपा विधायक दल की बैठक आज :भाजपा पर्यवेक्षकों ने जयपुर में विधायक दल की बैठक ली. शाम चार बजे प्रदेश मुख्यालय पर विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे ने ही सांगानेर विधायक भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी ने सहमति जता दी. पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, सरोज पांडेय और विनोद तावड़े चर्चा में मौजूद रहे. बैठक से पहले 1.30 बजे विधायकों का रजिस्ट्रेशन हुआ. इस दौरन पार्टी की ओर से विधायकों को निर्देश दिए गए थे कि मीटिंग से पहले मीडिया से बात नहीं करनी है. विधायक के साथ निजी सहायक और अंगरक्षक को बैठक में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.

Last Updated : Dec 12, 2023, 5:12 PM IST

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