रांची: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में 10 दिनों से फंसे झारखंड के मजदूर की सकुशल वापसी अब तक नहीं होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चिंता जताई है. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि जो मजदूरों के प्रति संवेदना होनी चाहिए वो बहुत अच्छा नहीं है. झारखंड मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की हमारे अधिकारी वहां जाकर बैठे हुए हैं. इस इंतजार में की कब वह सुरंग से निकलेंगे और उन्हें लेकर हम झारखंड वापस आएं.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि चिंता की बात यह है कि इस तरीके के परियोजनाओं में सेफ्टी और सुरक्षा के खास ध्यान रखना होता है. यह पहली घटना नहीं है उत्तराखंड में एक हादसा इससे पहले भी हुआ हैं, जिसमें झारखंड के मजदूरों को जान से हाथ धोना पड़ा था. ऐसी स्थिति में 2 दिन नहीं अभी 10-12 दिन हो चूके हैं. खाना पानी देना ही समाधान नहीं है बल्कि उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जाना चाहिए उनकी कैसी स्थिति है. मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति ऐसी है कि अब विदेश से भी एक्सपर्ट लाने की बात हो रही है. यह बहुत ही चिंता का विषय है कि कैसे मजदूर सकुशल बाहर निकलेंगे अब इंतजार करने के अलावा कोई उपाय नहीं है.
टनल में झारखंड के 15 मजदूर: उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में हुए भू स्खलन के कारण करीब 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हैं. जिसमें झारखंड के 15 मजदूर शामिल हैं. घटना की जानकारी के बाद श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता के निर्देश पर 13 नवंबर को भारतीय प्रशासनिक सेवा के भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यी झारखंड सरकार के अधिकारियों की टीम उत्तराखंड में है. वहां लगातार चल रहे राहत बचाव पर नजर रख रही है. टीम में भारतीय प्रशासनिक सेवा के भुवनेश प्रताप सिंह, संयुक्त श्रमायुक्त राजेश प्रसाद, संयुक्त श्रमायुक्त सह सचिव प्रदीप रॉबर्ट लकड़ा शामिल हैं.