रांचीः जमीन घोटाला मामले में ईडी के समन के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटिशन डाला है. इसका हवाला देते हुए मैसेंजर के जरिए इसकी सूचना ईडी के जोनल ऑफिस तक पहुंचा दी गई है. अब सवाल है कि रिट पिटिशन में आखिर है क्या. क्या सीएम ने सिर्फ समन को चुनौती दी है या ईडी की पूरी कार्रवाई पर सवाल उठाया है. इन दो सवालों के जवाब के लिए इंतजार करना होगा. लेकिन एक बात साफ हो गई है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आर-पार की लड़ाई के मूड में उतर गये हैं.
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सीएम ने पहले समन पर ही जिस तरह से जवाब दिया था, उससे स्पष्ट हो गया था कि वह ईडी ऑफिस नहीं जाने वाले हैं. हालाकि आज ईडी ऑफिस के बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा रहा. अतिरिक्त फोर्स को भी तैनात किया गया था. समय बीतने के साथ सस्पेंस भी बढ़ता जा रहा था. इसी बीच खबर आई कि सीएम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी डाली गई है. इस मसले पर सीएम की प्रतिक्रिया लेने के लिए प्रोजेक्ट भवन में भी मीडिया का जमावड़ा था. मुख्यमंत्री करीब 2 बजे प्रोजेक्ट भवन पहुंचे लेकिन उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की.
पहले समन पर सीएम का क्या था स्टैंडःपिछली बार 7 अगस्त को ईडी ने उनको पहला समन जारी कर संपत्ति से जुड़ा ब्यौरा मांगते हुए पूछताछ के लिए 14 अगस्त को बुलाया था. इसपर सीएम की ओर से तल्ख अंदाज में ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा के नाम पत्र भेजा गया था. सीएम ने स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाने के तरीके पर सवाल उठाया था. उन्होंने चुटकी लेते हुए लिखा था कि जिस तारीख को बुलाया गया, उससे किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ.
उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर को कोट करते हुए लिखा था कि आप और आपके पॉलिटिकल मास्टर अच्छी तरह जानते हैं कि मुख्यमंत्री को 15 अगस्त को ध्वजारोहण करना होता है. इसकी तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है. यह जानने के बावजूद 14 अगस्त को बुलाया गया. इससे साफ है कि जानबूझकर न सिर्फ उनकी बल्कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और झारखंड के लोगों की प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया था कि पिछले 1 साल से केंद्र की सरकार तालमेल बनाने के लिए दबाव डाल रही है. ऐसा नहीं करने पर केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सीएम ने ईडी पर दागे थे गंभीर सवालःउसी पत्र के जरिए सीएम ने ईडी को बताया था कि पिछले साल 17 नवंबर को खनन मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उस वक्त उन्होंने अपने और अपने परिवार की चल और अचल संपत्ति का सारा ब्यौरा भी दिया था. 30 नवंबर 2022 को अचल संपत्ति के डीड की सर्टिफाइड कॉपी मुहैया कराई गई थी. बैंक का डिटेल भी मुहैया कराया गया था. उन्होंने लिखा था कि साल 2020 में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर लोकपाल ने उनके पिता शिबू सोरेन की संपत्ति की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी थी. जांच के दौरान गैर कानूनी तरीके से सीबीआई ने उनकी अचल संपत्ति को भी खंगाला था. सीएम ने चुटकी लेते हुए लिखा था कि ईडी चाहे तो सीबीआई से रिपोर्ट ले सकती है.
इन तमाम बातों का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा था कि ईडी को समन वापस लेना चाहिए नहीं तो वह कानून का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे. इसके बाद फिर ईडी की ओर से सीएम को दूसरा समन भेजकर 24 अगस्त को बुलाया गया था. सूत्रों ने बताया कि ईडी ने सीएम के सवालों का जवाब भी दे दिया है. इस बीच ऊहोपाह की स्थिति बनी रही. लेकिन सीएम के पूर्व के रूख से स्पष्ट हो गया था कि वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. लिहाजा, अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पाले में चला गया है.