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संविधान दिवस समारोह पर बोले मुख्य न्यायाधीश, नागरिकों को अदालतों में जाने से डरना नहीं चाहिए - Constitution Day celebrations

सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने लोगों से अदालतों से न डरने की अपील की. उन्होंने कहा कि लोगों को अदालत जाने से डरना नहीं चाहिए. Supreme Court, Chief Justice of India

Chief Justice DY Chandrachud
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2023, 4:20 PM IST

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने 'लोगों की अदालत' के रूप में काम किया है और नागरिकों को अदालतों में जाने से डरना नहीं चाहिए या इसे अंतिम विकल्प के रूप में नहीं देखना चाहिए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत में संविधान दिवस समारोह के उद्घाटन पर बोलते हुए कहा कि पिछले सात दशकों में, सर्वोच्च न्यायालय ने 'लोगों की अदालत' के रूप में काम किया है.

उन्होंने कहा कि हजारों नागरिक इस विश्वास के साथ अदालत के दरवाजे पर आते हैं कि उन्हें इस संस्था के माध्यम से न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह संविधान हमें स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं के माध्यम से राजनीतिक मतभेदों को हल करने की अनुमति देता है, उसी तरह अदालत प्रणाली स्थापित सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के माध्यम से कई असहमतियों को हल करने में मदद करती है.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत शायद दुनिया की एकमात्र अदालत है, जहां कोई भी नागरिक सीजेआई को पत्र लिखकर अपनी संवैधानिक मशीनरी को गति दे सकता है. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के अलावा कि नागरिकों को अपने निर्णयों के माध्यम से न्याय मिले, शीर्ष अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है कि इसकी प्रशासनिक प्रक्रियाएं नागरिक केंद्रित हों, ताकि लोगों को अदालतों के कामकाज के साथ जुड़ाव महसूस हो.

सीजेआई ने कहा कि नागरिक अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा, गैरकानूनी गिरफ्तारियों के खिलाफ जवाबदेही, बंधुआ मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा, आदिवासियों को अपनी मातृभूमि की सुरक्षा, हाथ से मैला ढोने जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम और यहां तक कि स्वच्छ हवा पाने के लिए हस्तक्षेप की उम्मीद के लिए अदालत में आते हैं.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की हर अदालत में हर मामला संवैधानिक शासन का विस्तार है और ये मामले अदालत के लिए सिर्फ उद्धरण या आंकड़े नहीं हैं. सीजेआई ने कहा कि 'ये मामले सुप्रीम कोर्ट से लोगों की अपेक्षाओं के साथ-साथ नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए अदालत की अपनी प्रतिबद्धता से मेल खाते हैं.' राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और अन्य लोग भी शामिल हुए.

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